नए राष्ट्रपति के चुनाव में भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाकर कई नेताओं की मुश्किल आसान कर दी। तो कई ऐसे भी रहे जो उहापोह में फंस गए। कुछ नेता ऐसे भी हैं, जो अब फंसे ही हुए हैं। जबकि कुछ ने समर्थन तो दिया ही प्रस्तावक बनने के लिए अपने बड़े नेताओं को लगा दिया।
जदयू से पहले मांझी का फैसला
भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू के नाम की जैसे ही घोषणा की, कई दल समर्थन में आ गए। बिहार में सहयोगी हम के जीतन राम मांझी ने तो यहां तक कह दिया कि मोदी है तो मुमकिन है। चिराग ने पहले ही दिन समर्थन का इशारा किया। बाद में प्रेस कांफ्रेंस कर खुलासा किया। पारस गुट तो पहले से ही भाजपा के फैसले के साथ था। मोदी कैबिनेट में मंत्री आरसीपी सिंह अपनी पार्टी लाइन का इंतजार किए गए बगैर समर्थन में आ गए। लेकिन जदयू को फैसला करने में वक्त लगा।
एक दिन बाद ललन–नीतीश का ट्वीट
बिहार में सत्तापक्ष में बैठे जब सभी दलों ने अपने समर्थन का फैसला दे दिया, इसके बाद सबसे आखिर में JDU ने स्टैंड लिया। नीतीश कुमार और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह दोनों ने ट्वीट कर समर्थन दे दिया। जदयू के समर्थन पर आशंका इसलिए हो रही थी क्योंकि इसके पहले के दो राष्ट्रपति चुनावों में जदयू ने हमेशा उस उम्मीदवार के खिलाफ वोट दिया, जिस गठबंधन में वो थे। लेकिन इस बार देर से ही सही लेकिन अपने गठबंधन के उम्मीदवार को ही जदयू ने समर्थन दिया।
अब प्रस्तावक भी बनेंगे जदयू अध्यक्ष
पहले तो जदयू ने राष्ट्रपति उम्मीदवार पर फैसला लेने में ही देरी की। लेकिन बाद में सबसे आगे निकलने की होड़ में लग गई है। द्रौपदी मुर्मू के प्रस्तावकों की सूची में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी शामिल हो गए हैं। इसके अलावा जदयू के ही दिलेश्वर कामत, चंदेश्वर चंद्रवंशी, सुनील कुमार पिंटू और आलोक कुमार सुमन भी प्रस्तावक बनेंगे। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस की पार्टी के सभी सांसद प्रस्तावक बनेंगे। वहीं बिहार BJP की ओर से दोनों डिप्टी CM तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के प्रस्तावक बनेंगे।