वैसे तो कई धार्मिक गुरुओं का कहना है कि शास्त्रों में मृत्युभोज का उल्लेख नहीं है। अगर उल्लेख है तो सिर्फ उस पुण्य आत्मा की शांति के लिए यज्ञ, तर्पण, पशु पक्षियों को दाना-पानी व ब्राह्मण भोज का। यह कुप्रथा शोक की ऐसी लहर है, जो निर्धन व्यक्ति पर आर्थिक बोझ बनकर उसे कर्ज की ओर ले जाती है। इसके बावजूद मृत्यु भोज की कुप्रथा आज भी चल रही है। लेकिन हरियाणा के एक गांव ने ऐसा कदम उठाया है कि उस गांव में स्वस्थ जीवन के लिए शराब बंद कर दिया गया है और मरने के बाद भोज देने की कुप्रथा पर पाबंदी लगा दी गई है।
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फतेहाबाद के बैजलपुर गांव ने उठाया कदम
शराबबंदी और मृत्यु भोज पर पाबंदी हरियाणा के फतेहाबाद जिले की ग्राम पंचायत बैजलपुर ने लगाई है। गांव में इस बात पर सहमति बन चुकी है कि जल्द ही ग्राम सभा की मीटिंग में प्रस्ताव पास करवाकर शराब ठेका बंद करवाया जाएगा। साथ ही यह भी ऐलान किया गया है कि गांव में कोई भी शराब का अवैध धंधा नहीं करेगा। पंचायत ने तय किया है कि यदि कोई गांव में शराब बेचता पाया गया तो उसके खिलाफ ग्राम पंचायत द्वारा कार्रवाई करवाई जाएगी।
36 बिरादरियों की सामूहिक समिति
जाति-बिरादरी का नाम आते ही अलगाव की तस्वीरें दिमाग में आने लगती हैं। लेकिन बैजलपुर गांव ने इस मामले में भी एक अनूठी मिसाल कायम की है। बैजलपुर में नए प्रावधानों को लागू करने के लिए 36 बिरादरियों ने साथ बैठकर निर्णय लिया है कि एक समिति बनेगी, जिसमें सभी बिरादरियों के लोग रहेंगे। गांव के सरपंच एवं सरपंच एसोसिएशन के जिला प्रवक्ता हेमंत बैजलपुरिया ने मीडिया को बताया है कि “नशे और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ ग्रामीण एकजुट हैं। इसीलिए मेन चौक पर पंचायत बुलाई गई थी। जिसमें सर्वसम्मति से फैसला लिया गया है कि अब से गांव में मृत्यु भोज नहीं होगा। इसको पूर्णतया लागू करने के लिए गांव में सभी को प्रेरित भी किया जाएगा।”
बिहार में औसतन 5 अरब तक मृत्यु भोज पर खर्च
एक आकलन के अनुसार, सिर्फ बिहार के गांवों में एक साल में मृत्युभोज पर होने वाला खर्च 5 अरब रुपए से ज्यादा है। औसतन एक पंचायत में एक साल में मृत्युभोज पर 50 लाख रुपए से ज्यादा खर्च हो रहा है।
इन्होंने भी खड़ी की मिसाल
समाज की शिक्षा पर खर्च : जोधपुर जिले के आगोलाई क्षेत्र के देवगढ़ गांव के कर्नल डॉ. बलदेवसिंह चौधरी के परिवार ने नई राह दिखाते हुए सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ क्रांतिकारी पहल की शुरुआत की है। कर्नल चौधरी के पिता नैनाराम सारण का गत 26 जनवरी 2023 को 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। पिछले दो दशक से अधिक समय से लगातार मानव व शिक्षा सेवा से जुड़े मानव की उपाधि प्राप्त कर्नल डॉ.बलदेवसिंह चौधरी व इनके छोटे भाई धर्माराम चौधरी ने आगोलाई सहित कोर्णावटी क्षेत्र में सामाजिक कुरीति मृत्युभोज, अफीम-डोडा का पूर्णतया बहिष्कार का फैसला लिया। उन्होंने जाट समाज सहित क्षेत्र के सर्व समाज में शिक्षा पर खर्च कर अपने पिता को सच्ची श्रद्धांजलि देने का निर्णय लिया।
पुल का निर्माण कराया : बिहार के मधुबनी जिले के कलुआही प्रखंड के नरार पंचायत के वार्ड नंबर 2 में गांव की सड़क पर पुल नहीं होने से बरसात के मौसम में ग्रामीणों का गांव से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता था। ग्रामीणों की परेशानी देख महादेव झा नामक बुजुर्ग ने निजी प्रयासों से इस समस्या का समाधान करने का सपना संजोया था। समाज को एक नई राह दिखाते हुए अपनी पत्नी और बेटे सुधीर झा से कहा कि – “उनके निधन के बाद श्राद्ध भोज और कर्मकांड पर लाखों रुपये खर्च करने की बजाय गांव की सड़क पर पुल का निर्माण करवाएं”। सुधीर झा ने अपने दिवंगत पिता के सपने को साकार करते हुए गांव की सड़क पर 5 लाख की लागत से पुल का निर्माण करवा दिया।