बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है। चर्चा यह भी है कि वे उत्तर प्रदेश की फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। अगर नीतीश कुमार 2024 में चुनाव लड़ेंगे तो वे 20 साल बाद किसी चुनाव में उतरेंगे। इससे पहले नीतीश कुमार ने अपना आखिरी चुनाव 2004 के लोकसभा चुनाव में लड़ा था। उसके बाद 2005 में नीतीश कुमार बिहार के सीएम बन गए और फिर कभी कोई चुनाव खुद नहीं लड़ा। पिछले 19 सालों में से 18 साल से अधिक वक्त तक नीतीश कुमार बिहार के सीएम रहे हैं। लेकिन इस बीच वे कभी विधानसभा चुनाव में नहीं उतरे। वे विधान परिषद के ही सदस्य बने रहे। वहीं लोकसभा में नीतीश कुमार छह बार चुने गए हैं। पांच बार जिस सीट से चुनकर नीतीश कुमार लोकसभा पहुंचे थे। छठी बार उन्हें उसी सीट से हार मिली। हालांकि तब उन्होंने 2 सीटों से चुनाव लड़ा था और दूसरी सीट से वे जीत भी गए थे। लेकिन संयोग यह रहा कि जिस बाढ़ लोकसभा सीट से नीतीश हारे थे, वो सीट ही समाप्त हो गई।
लोकसभा में नीतीश का शानदार ट्रैक रिकॉर्ड
नीतीश कुमार का लोकसभा चुनाव में ट्रैक रिकॉर्ड शानदार रहा है। पहली बार वे 1989 में लोकसभा के लिए चुने गए थे। इससे पहले 1985 में हरनौत विधानसभा से विधायक चुने गए थे। लेकिन 1989 में पहली बार बाढ़ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से जीते नीतीश कुमार वापस बिहार विधानसभा में बतौर मुख्यमंत्री ही पहुंचे। दूसरी ओर लोकसभा चुनावों के इतिहास में नीतीश कुमार के नाम कुल 6 जीत रही है। 1989 से 2005 तक वे लोकसभा के सदस्य रहे हैं। 2005 में बिहार के सीएम बनने के बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता छोड़ दी। इस बीच वे सिर्फ एक चुनाव हारे और वो भी सिर्फ 37,688 वोटों से। लेकिन यह हार उस तरह से रिकॉर्ड नहीं हुई क्योंकि 2004 में नीतीश कुमार बाढ़ और नालंदा दो सीटों से लड़े थे और नालंदा में उनकी जीत हुई थी।
विजय कृष्ण से हारे थे नीतीश
बाढ़ लोकसभा क्षेत्र से नीतीश कुमार 1989 में पहली बार चुनाव जीते और उसके बाद अलग अलग तीन दलों से पांच बार जीतते रहे। पहली बार वे जनता दल से जीते थे। बाद में 1996 और 1998 में वे समता पार्टी से जीते। 1999 में वे जनता दल से जीते। लेकिन 2004 में जनता दल यूनाइटेड से चुनाव लड़े नीतीश कुमार हार गए। बाढ़ सीट पर विजय कृष्ण और नीतीश कुमार की अदावत पुरानी रही थी। 1999 में नीतीश कुमार ने विजय कृष्ण को 65 हजार वोटों से हराया था। लेकिन 2004 में विजय कृष्ण ने नीतीश कुमार को 37 हजार वोटों से चुनाव हराकर अपना बदला ले लिया। बाद में 2008 के परिसीमन में बाढ़ लोकसभा सीट का अस्तित्व समाप्त हो गया।
फूलपुर के लिए एक नहीं तीन कारण
2024 के चुनाव में नीतीश कुमार के लिए फूलपुर सीट पर ही आखिर चर्चा क्यो हो रही है, इसके एक नहीं तीन कारण है। क्योंकि बिहार के नीतीश, यूपी से चुनाव लड़ें, यह इतनी आसान बात तो नहीं है। लेकिन इसके बावजूद नीतीश कुमार फूलपुर से लड़ सकते हैं, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। दरअसल, बिहार से चुनाव लड़ने वाला कोई सांसद अब तक देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंचा है। नीतीश कुमार लोकसभा सांसद रहे हैं। छह बार चुनाव जीते हैं। केंद्रीय मंत्री तक तो पहुंच चुके हैं। लेकिन देश की राजनीति में कहावत पुरानी चली आ रही है कि प्रधानमंत्री की कुर्सी से सबसे करीब यूपी ही रहता है। नरेंद्र मोदी को भी वाराणसी से चुनाव लड़ना पड़ा। अब नीतीश कुमार भी इस मिथ को सच मानकर यूपी का रुख कर लें, तो आश्चर्य नहीं होगा। वैसे यूपी की फूलपुर सीट के तीन बड़े और स्पष्ट कारण हैं।
पहला कारण : यूपी की सीट
पीएम बनने वाला यूपी से चुनाव लड़े तो अलग संदेश जाता है। कारण, कि दावेदार में दम होगा तो न सिर्फ अपनी सीट जीतेगा बल्कि आसपास की सीटें भी प्रभावित होंगी। नरेंद्र मोदी ने जब 2014 में यूपी की वाराणसी से चुनाव लड़ा तो न सिर्फ उन्होंने अपनी सीट जीती। बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 73 सीटों पर एनडीए का कब्जा हुआ। कांग्रेस को दो सीटें मिली। इसमें एक पर सोनिया गांधी जीतीं थी, दूसरे पर राहुल गांधी। समाजवादी पार्टी को सिर्फ पांच सीटें मिली। भाजपा के विरोधी अन्य सभी सीटों पर चुनाव हार गए। यूपी के सीट की ही बात हो तो चर्चा यह भी हो सकती है अरविंद केजरीवाल की राह पर चलते हुए नीतीश कुमार सीधे वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ ही लड़ लें। लेकिन अरविंद केजरीवाल के 2014 के हश्र को देखते हुए इसकी संभावना नहीं है। वे खुद की सीट बचाने की कोशिश में सिमट सकते हैं। इसलिए दूसरी सीट का चयन जरुरी है। इस लिहाज से फूलपुर भी एक विकल्प हो सकता है।
दूसरा कारण : सामाजिक समीकरण
उत्तरप्रदेश की फूलपुर सीट का सामाजिक समीकरण नीतीश कुमार के लिए सकारात्मक है। यहां अब तक हुए 20 चुनावों में कुर्मी सांसद बने हैं। राम पूजन पटेल तीन बार और जंग बहादुर पटेल दो बार सांसद रहे हैं। नीतीश कुमार भी कुर्मी जाति से आते हैं। ऐसे में अखिलेश यादव, कांग्रेस और भाजपा के दूसरे विपक्षी दलों से राजनीतिक तालमेल में फूलपुर सीट नीतीश कुमार के लिए अच्छा विकल्प होगी। इस सीट पर वैसे तो अभी भाजपा के ही सांसद हैं। लेकिन यह भाजपा की परंपरागत सीट नहीं मानी जाती है। भाजपा का कोई प्रत्याशी पहली बार 2014 में ही जीत सका था।
तीसरा कारण : प्रधानमंत्रियों की लंबी सूची
फूलपुर सीट का इतिहास ऐसा रहा है कि यहां से जीते दो सांसद प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं। 1952 में इसी सीट से जवाहरलाल नेहरू ने चुनाव लड़ा था। 1964 तक वे इसी सीट के सांसद रहे और भारत के प्रधानमंत्री भी। इसके अलावा वीपी सिंह ने भी 1971 में लोकसभा चुनाव फूलपुर से ही लड़ा और जीता था। वे भी आगे चलकर प्रधानमंत्री बने। इस तुक्के को पर्याप्त कारण माना जा सकता है क्योंकि राजनीति में फैक्ट हो या तुक्का, कोई गणित अधूरा नहीं छोड़ा जाता।
फूलपुर से होने वाले सांसद
- 1952 : जवाहरलाल नेहरू, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 1957 : जवाहरलाल नेहरू, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 1962 : जवाहरलाल नेहरू, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 1964 (उपचुनाव) : विजयलक्ष्मी पंडित, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 1967 : विजयलक्ष्मी पंडित, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 1969 (उपचुनाव) : जनेश्वर मिश्रा, संयुक्त सोशियलिस्ट पार्टी
- 1971 : विश्वनाथ प्रताप सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 1977 : कमला बहुगुणा, भारतीय लोक दल
- 1980 : बी.डी.सिंह, जनता पार्टी (सेक्युलर)
- 1984 : राम पूजन पटेल , भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 1989 : राम पूजन पटेल , जनता दल
- 1991 : राम पूजन पटेल , जनता दल
- 1996 : जंग बहादुर पटेल, समाजपार्टी पार्टी
- 1998 : जंग बहादुर पटेल, समाजवादी पार्टी
- 1999 : धर्मराज पटेल, समाजवादी पार्टी
- 2004 : अतीक अहमद, समाजवादी पार्टी
- 2009 : कपिल मुनी करवरिया, बहुजन समाज पार्टी
- 2014 : केशव प्रसाद मौर्य, भारतीय जनता पार्टी
- 2018 (उपचुनाव) : नागेन्द्र प्रताप सिंह पटेल, समाजवादी पार्टी
- 2019 : केसरी देवी पटेल, भारतीय जनता पार्टी
फूलपुर पर किसने जीते कितने चुनाव
- कुल चुनाव : 20
- कांग्रेस : 07
- समाजवादी पार्टी : 05
- जनता दल : 02
- भाजपा : 02
- बसपा : 01
- अन्य : 03