राजनीति में लालू यादव ने कई मुकाम वक्त से पहले हासिल किए। तो कई मुकाम हासिल करने के लिए उन्हें बड़े जतन भी करने पड़े। महज 29 साल में कांग्रेस विरोधी लहर में सांसद बने लालू यादव 1990 से बिहार की सत्ता के केंद्र बन गए। वे सीएम भी थे और जनता दल में उनके खिलाफ जाने की हिम्मत भी नहीं थी। 1995 में भी लालू ने बिहार में चुनाव जीता। लेकिन साल 1997 से लालू यादव की मुश्किलें शुरू हो गईं। चारा घोटाले में लालू यादव आरोपी बन गए। उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी हो गया। जनता दल के नेता उनसे सीएम पद से इस्तीफा चाहते थे। जिसके लिए लालू तैयार भी थे। लेकिन वे जनता दल का अध्यक्ष बने रहना चाहते थे, जिसके लिए इंद्र कुमार गुजराल और दूसरे कई नेता तैयार नहीं थे। बस, यही बात लालू यादव को चुभी और राष्ट्रीय जनता दल का गठन हो गया।
4 जुलाई को झटका, 5 जुलाई को नया स्वरूप
बात 1997 की है जब बिहार में लालू यादव के नेतृत्व में जनता दल की सरकार चल रही थी। चारा घोटाला अखबारों की सुर्खियों से आगे निकलकर तत्कालीन सीएम लालू यादव के अरेस्ट वारंट के रूप में बदल चुका था। 4 जुलाई 1997 को इंद्र कुमार गुजराल ने दिल्ली में जनता दल के नेताओं की बैठक बुलाई, जिसमें लालू यादव भी शामिल हुए। बैठक में लालू यादव ने कहा कि वो मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। वहां मौजूद दूसरे नेता अभी आगे की बात सोच ही रहे थे कि लालू यादव ने यह प्रस्ताव दे दिया कि सीएम तो वे नहीं रहेंगे लेकिन जनता दल का अध्यक्ष उन्हें रहना है। सीबीआई की गिरफ्त में घिर चुके लालू की बात को अनसुना कर दिया गया। लेकिन लालू वो शख्स ही नहीं थे, जिनकी बातों को अनसुना किया जा सके। लालू यादव ने अगले ही दिन 5 जुलाई को नई पार्टी राष्ट्रीय जनता दल बना दी।
20 दिन में सरकार भी बचाई
घोटाले के आरोपों के बाद जब लालू यादव पर इस्तीफे का दबाव बढ़ा तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया। 25 जुलाई 1997 को लालू यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सीएम की कुर्सी पर बिठा दिया। इसी तरह लालू यादव ने पहले अपनी पार्टी बना ली, फिर अपनी सरकार बचा ली। 1997 से 2005 तक बिहार में राष्ट्रीय जनता दल का शासन रहा, जिसकी सीएम राबड़ी देवी रहीं।
जब पीक पर राजद, तब नीतीश ने दी चुनौती
साल 2000 के चुनाव में राजद को 124 सीटें मिलीं। आज का सिनारियो होता तो ये स्पष्ट बहुमत होता। लेकिन तब झारखंड भी बिहार में ही था और बिहार विधानसभा में कुल सीटें 324 थी। बहुमत के लिए 163 सीटों की जरुरत थी। कांग्रेस को साथ लाकर भी राजद के पास 147 सीटें ही हो रही थी। उहापोह के बीच बिहार में नीतीश कुमार एनडीए के सीएम बन गए। लेकिन भाजपा के 67, जेडीयू 21 और समता पार्टी 34 विधायकों की मदद से सीएम बने नीतीश कुमार बहुमत साबित नहीं कर पाए और सात दिन में ही लालू यादव ने फिर राजद की सरकार बनवा दी। एक बार फिर सीएम बनीं राबड़ी देवी।
27वां स्थापना दिवस पर हर जिले में होगा कार्यक्रम
2005 तक राजद फुल पावर में बिहार की सत्ता में रही। उसके बाद 10 सालों तक नीतीश कुमार ने राजद को सरकार में आने नहीं दिया। लेकिन 2015 में राजद वापस नीतीश कुमार के साथ ही सत्ता में सबसे बड़ी पार्टी बन कर लौटी। लेकिन जुलाई 2017 में नीतीश कुमार ने राजद को फिर सत्ता से बाहर कर दिया। 2019 में राजद का सबसे बुरा दौर रहा जब उसका कोई सांसद लोकसभा चुनाव में नहीं जीता। लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में भी राजद सबसे बड़ी पार्टी रही। 2022 में सत्ता के उलटफेर में वापस राजद सत्ता की साझीदार बन गई है।
इस बार राष्ट्रीय जनता दल का 27वां स्थापना दिवस 5 जुलाई, बुधवार को मनाया जाएगा। छह साल राजद के कार्यकर्ताओं के हाथ यह अवसर आया है, जब पार्टी सत्ता में होते हुए अपना स्थापना दिवस मना रही है। इस बार स्थापना दिवस के अवसर पर पार्टी के प्रदेश कार्यालय में राज्यस्तरीय कार्यक्रम का आयोजन होगा। इसमें राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव सहित अन्य प्रमुख नेता शामिल होंगे। राजद की स्थापना 5 जुलाई 1997 को दिल्ली में हुई थी। इस बार स्थापना दिवस के अवसर पर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।