जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के ख्वाहिश की लहरों को किनारा मिलता दिख रहा है। दोनों के हालात ऐसे हैं कि सबकुछ होते हुए भी कुछ नहीं होने जैसा महसूस करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन दोनों को ही वो नहीं मिला, जिसके ख्वाहिशमंद ये हैं। हालांकि हवा का रुख बदल रहा है और फिजाओं में बहार लौट रही है। कम से कम इन दोनों के लिए तो यह मानसून सुहावना लग रहा है।
अधूरी रह गई थी हसरत
Lalan Singh की पुरानी ख्वाहिश है कि वे केंद्र में मंत्री बनें। 2019 में लोकसभा चुनाव में जब JDU की नाव में सांसदों की संख्या लबालब भर गई। 17 सीटों पर चुनाव लड़े और 16 जीत गए। जीत बड़ी थी तो बड़े सांसदों की ख्वाहिश कुलांचे मारने लगी। लगा कि तीन नहीं तो कम से कम दो मंत्री पद तो मिलेंगे ही। लेकिन तब के अध्यक्ष Nitish Kumar ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया। जदयू मंत्रिमंडल में शामिल ही नहीं हुआ। झटका RCP Singh को भी लगा और ललन सिंह को भी। लेकिन दोनों को क्रमश: राज्यसभा व लोकसभा में पार्टी का नेता बनने भर से संतोष करना पड़ा।
दुबारा भी मिला झटका
मोदी सरकार ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में बदलाव किया 2021 में। जदयू इस बार मंत्रिमंडल में शामिल होने को तैयार दिखा। तब भी ललन सिंह को लगा कि इस बार वे मंत्री बन जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अकेले आरसीपी सिंह मंत्रिमंडल में शामिल हुए। हालांकि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह बनाए गए। लेकिन अब लग रहा है कि मंत्री बनने की ललन सिंह की पुरानी ख्वाहिश पूरी हो सकती है।
मोदी ने दिया भाव
राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू के नामांकन के दौरान ललन सिंह भी मौजूद थे। और भी कई नेता थे। लेकिन पीएम मोदी ने सिर्फ ललन सिंह को भाव दिया। पीएम की एक ओर थी द्रौपदी मुर्मू। दूसरी ओर जेपी नड्डा बैठे थे। इस दौरान पीएम ने ललन सिंह को खुद इशारा किया कि वो आएं और नड्डा के बगल में बैठ जाएं। पीएम के ऐसे भाव देने के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। चर्चा है कि आरसीपी का मंत्रिमंडल से हटना तय है क्योंकि जदयू ने राज्यसभा में उनका रीन्यूअल नहीं किया है। ऐसे में जदयू कोटे के खाली होने वाले पद से ललन सिंह की इच्छा पूरी होगी। वैसे इस मामले पर अभी सब चुप हैं। लेकिन ललन समर्थक पीएम मोदी के इस जेस्चर पर खासे खुश दिख रहे हैं।
Upendra के लिए भी रास्ता
उपेंद्र कुशवाहा अभी जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं। उनसे पहले इस पद पर कौन था, पार्टी के बाहर शायद ही किसी को मालूम है। कुलमिलाकर Upendra Kushwaha को जैसे तैसे सीनियर पोजीशन पर एडजस्ट करने के लिए यह पद दिया गया है। लेकिन ललन सिंह के केंद्रीय मंत्रिमंडल में जाने के बाद पार्टी अध्यक्ष का पद खाली हो सकता है और तब ये कुर्सी उपेंद्र कुशवाहा को मिल सकती है। हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष पर तो उसी का हक होगा, जिसके नाम पर नीतीश कुमार की सहमति होगी।