इजरायल और हमास के बीच युद्ध में पूरी दुनिया दो खेमों में बंटती दिख रही है। कुछ देश इजरायल के समर्थन में हैं तो कुछ ने फिलिस्तीन का समर्थन किया है। इस बीच भारत में अलग ही स्थिति है। युद्ध के शुरू होते ही भारत सरकार ने इजरायल के साथ मजबूती से खड़े होने की बात सार्वजनिक कर दी थी। लेकिन अब भारत सरकार के विपक्ष में खड़े भारतीय राजनीतिक दल ही अलग सुर में हैं। विपक्ष के नेताओं ने फिलिस्तीन को समर्थन देने का ऐलान किया है और यही नहीं सोमवार, 16 अक्टूबर को दो नेता फिलिस्तीन के दूतावास भी पहुंच गए।
पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर और बसपा के सांसद दानिश अली फिलिस्तीन के दूतावास पहुंचे। गाजा में हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध के दौरान दोनों नेताओं का फिलिस्तीन के दूतावास पहुंचना अलग ही राजनीति की शुरुआत कर रहा है। मणिशंकर अय्यर कांग्रेस के उन नेताओं में से हैं, जिनके बयान हमेशा से अलग धारा के रहे हैं। मणिशंकर और दानिश अली के अलावा लेफ्ट के भी कुछ नेता वहां पहुंचे हैं। सीपीआई के जनरल सेक्रेटरी दीपांकर भट्टाचार्य का कहना है कि ‘गाजा में युद्ध चल रहा है। वहां मानवीय संकट खड़ा हो गया है और फिलिस्तीन के लोग पीड़ित हैं। हम भारत समेत सभी देशों में यह सवाल उठा रहे हैं।’
दीपांकर भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि गाजा में बेगुनाह लोगों को मारा जा रहा है। इस युद्ध का शिकार कोई और नहीं बल्कि मासूम फिलिस्तीनी बन रहे हैं। हम चाहते हैं कि शांति कायम रहे। फिलिस्तीन के दूतावास पहुंचने वाले नेताओं में समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान, जेडीयू के नेता केसी त्यागी भी शामिल थे। इन सभी नेताओं ने कहा कि हम फिलिस्तीन के लोगों के साथ हैं और उनके लिए अपना समर्थन जाहिर करने को ही यहां आए हैं।