केंद्र सरकार ने सेना में भर्ती के नए फार्मूले पर अडिग रहने का फैसला किया है। रक्षा मंत्रालय ने रविवार, 19 जून को स्पष्ट कर दिया कि यह योजना वापस नहीं होने वाली है। साथ ही यह भी घोषणा कर दी गई है कि अग्निवीरों का पहला बैच इसी साल दिसंबर में सेना में शामिल हो जाएगा। हालांकि अपने फैसले को अडिग बताने वाली केंद्र सरकार चार दिनों में चार बड़े बदलाव कर चुकी। वैसे इन बदलावों पर सरकार का कहना है कि कुछ भी बदला नहीं है, सबकुछ पहले से तय था।
ये हुए बड़े बदलाव
अग्निपथ स्कीम की घोषणा 14 जून को की गई। घोषणा होते ही देश भर में हंगामा शुरू हो गया। इसके बाद सरकार की ओर से कुछ और घोषणाएं हुईं, जिन्हें बदलावों के तौर पर माना जा रहा है। नई घोषणाओं में केंद्रीय सशक्त पुलिस बल (CAPF) और असम राइफल्स में अग्निवीरों के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था की गई। सबसे बड़ा बदलाव उम्र सीमा को लेकर हुआ, जिसमें अग्निवीर की आयु सीमा 21 से बढ़ाकर 23 कर दी गई है। इसके अलावा डिफेंस की 16 कंपनियों में आरक्षण का भी प्रावधान बाद में ही सामने आया। रिटायरमेंट के बाद की सुविधाओं में सस्ता लोन भी बाद में जोड़ा गया।
कोचिंग संचालकों पर आरोप
अग्निपथ स्कीम के विरोध को लेकर हुए बवाल को रक्षा मंत्रालय कोचिंग संचालकों की साजिश बता रहा है। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने रविवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि कोचिंग संचालकों ने छात्रों को भड़काकर प्रदर्शन कराया है।
नौसेना में महिलाएं भी
प्रेस कांफ्रेंस में नौसेना की ओर से बताया गया कि अग्निपथ योजना के तहत महिलाओं की भी भर्ती नौसेना में होगी। 21 नवंबर से पहला नौसैनिक अग्निवीर बैच ओड़िसा में ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट आईएनएस चिल्का पहुंचना शुरू हो जाएगा।
रक्षा मंत्री ने की बैठक
प्रेस कांफ्रेंस से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के घर पर तीनों सेना प्रमुखों की बैठक हुई। बैठक में अग्निपथ योजना से संबंधित सभी पहलुओं पर विचार हुआ। इसमें इसका फ्लोचार्ट भी चर्चा में आया कि अग्निपथ योजना को कैसे लागू किया जाएगा। साथ ही आंदोलन करने वालों के खिलाफ क्या रणनीति होगी। रक्षा मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि चयन के बाद सभी अग्निवीरों को यह शपथपत्र देना होगा कि वे किसी प्रकार की हिंसक गतिविधि में शामिल नहीं रहे हैं।