प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। रेडियो पर प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम का ये 114वां एपिसोड था। कार्यक्रम मन की बात में आज पीएम मोदी कई मुद्दों पर चर्चा की। ‘मन की बात’ के 114वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संथाली भाषा को प्रमोट करते हुए कहा कि हमारी ‘संथाली’ भाषा को डिजिटल नवाचार की मदद से नई पहचान देने का अभियान शुरू किया गया है। संथाली, हमारे देश के कई राज्यों में रह रहे संथाल जनजातीय समुदाय के लोग बोलते हैं। भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में भी संथाली बोलने वाले आदिवासी समुदाय मौजूद हैं…”
उन्होंने कहा कि अगर मैं पूछूं कि कोई बच्चा कौन सी भाषा सबसे आसानी से और जल्दी सीखता है। तो आपका जवाब होगा ‘मातृ भाषा’। हमारे देश में लगभग बीस हजार भाषाएं और बोलियाँ हैं और ये सब की सब किसी-न-किसी की तो मातृ-भाषा है ही हैं। कुछ भाषाएं ऐसी हैं जिनका उपयोग करने वालों की संख्या बहुत कम है, लेकिन आपको यह जानकर खुशी होगी, कि उन भाषाओं को संरक्षित करने के लिए, आज, अनोखे प्रयास हो रहे हैं।
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ऐसी ही एक भाषा है हमारी ‘संथाली’ भाषा। ‘संथाली’ को digital Innovation की मदद से नई पहचान देने का अभियान शुरू किया गया है। ‘संथाली’, हमारे देश के कई राज्यों में रह रहे संथाल जनजातीय समुदाय के लोग बोलते हैं। भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में भी संथाली बोलने वाले आदिवासी समुदाय मौजूद हैं। संथाली भाषा की online पहचान तैयार करने के लिए ओडिशा के मयूरभंज में रहने वाले श्रीमान रामजीत टुडु एक अभियान चला रहे हैं।
रामजीत जी ने एक ऐसा digital platform तैयार किया है, जहां संथाली भाषा से जुड़े साहित्य को पढ़ा जा सकता है और संथाली भाषा में लिखा जा सकता है। दरअसल कुछ साल पहले जब रामजीत जी ने मोबाईल फोन का इस्तेमाल शुरू किया तो वो इस बात से दुखी हुए कि वो अपनी मातृभाषा में संदेश नहीं दे सकते। इसके बाद वो ‘संथाली भाषा’ की लिपि ‘ओल चिकी’ को टाईप करने की संभावनाएं तलाश करने लगे। अपने कुछ साथियों की मदद से उन्होंने ‘ओल चिकी’ में टाईप करने की तकनीक विकसित कर ली। आज उनके प्रयासों से ‘संथाली’ भाषा में लिखे लेख लाखों लोगों तक पहुँच रहें हैं।