ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। शंकराचार्य ने हाल ही में उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने ऐसा बयान दिया जिससे महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई। शंकराचार्य ने उद्धव ठाकरे के साथ ‘विश्वासघात’ होने का दावा किया। इस पर एकनाथ शिंदे गुट के नेता संजय निरुपम ने कहा कि एक शंकराचार्य को राजनीति के मुद्दों पर बयान नहीं देने चाहिए, ये गलत है। संजय निरुपम की इस टिप्पणी पर अब शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पलटवार किया है।

ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य ने कहा कि हम संन्यासी हैं, हमें राजनीतिक बयान नहीं देना चाहिए ये बिल्कुल ठीक बात है। हम इसी सिद्धांत के हैं, लेकिन राजनीति के लोगों को भी तो धर्म में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। पीएम मोदी का जिक्र करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि जब प्रधानमंत्री मंदिर में आकर धर्म स्थापना करने लगें, तो उन्हें मीडिया में लाइव दिखाया जाता है। वहीं, शंकराचार्य जब राजनीति की बात कर दें तो लोग कहते हैं कि यह गलत है।
राजनीति के लोग धर्म में हस्तक्षेप बंद कर दें
शंकराचार्य ने आगे कहा कि राजनीति के लोग धर्म में हस्तक्षेप बंद कर दें, हम गारंटी दे रहे हैं कि हम भी राजनीति में बोलना बंद कर देंगे। लेकिन वह हमारे धर्म में निरंतर हस्तक्षेप कर रहे हैं तो हम राजनीति के बारे में क्यों ने बोलें? ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य ने कई सवाल खड़े किए। उन्होंने पूछा कि राजनीति के लोगों को अपने जीवन के धर्म का पालन नहीं करना चाहिए? क्या धर्माचार्य के रूप में हेम किसी को ये नहीं बताना चाहिए कि सच्चा हिन्दुत्व क्या है? क्या विश्वासघात जैसे पाप के बारे में हमें लोगों को सचेत नहीं करना चाहिए?
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उन्होंने आगे कहा कि हमने कोई राजनीति की बात कही ही नहीं है। हमने ये बताया है कि अगर तुम हिन्दू हो तो तुम्हें किसी के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए। ये राजनीति की नहीं बल्कि धर्म की बात है। ज्योतिर्मठ शंकराचार्य ने आगे कहा कि केवल हम हिन्दू हैं कह देने से काम नहीं चलता। जब हम धर्म के मर्म को जानेंगे और उसे अपने जीवन में अपनाएंगे, तभी हम हिन्दू होंगे। हमारा राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है, हम धर्म की व्याख्या करते हैं, लेकिन राजनीति के लोगों को भी अपने जीवन में धर्म का पालन करना चाहिए और विश्वासघात जैसा काम नहीं करना चाहिए।




















