राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा द्वारा सदन में ठाकुर का कुआं कविता पाठ के बाद आनंद मोहन परिवार ने इसे दिल पर ले लिया है। आनंद मोहन के बेटे व राजद विधायक चेतन आनंद ने सबसे पहले मोर्चा खोला। चेतन ने कहा कि आपको ठाकुरों से क्या एलर्जी है? अगर ठाकुरों पे कविता है, तो ब्राह्मणों पे भी कविताएं है। लेकिन क्योंकि आप ब्राह्मण हैं तो आपने वो कविता नहीं सुनाई। किसी को सॉफ्ट टारगेट बनाना, हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। वहीं बेटे के बाद आनंद मोहन भी सामने आए। आनंद मोहन ने कहा कि अगर मैं उस वक्त राज्यसभा में होता तो उनकी जीभ खींचकर आसन की तरफ उछाल देता, सभापति की ओर। अब आनंद मोहन की बेटी सुरभि आनंद भी इस विवाद में कूद पड़ी हैं।
सुरभि ने दिया कविता का कविता से जवाब
मनोज झा की एक कविता से विवाद की शुरुआत हुई थी। अब आनंद मोहन की बेटी सुरभि आनंद ने इसका जवाब कविता से ही दिया है।
सुरभि आनंद द्वारा पोस्ट की गई कविता :
ठाकुर होना इतना आसान नहीं होता!
“कभी कासिम तो कभी गजनी से भिड़ा ठाकुर!
हार तो तय थी…पर लड़ा ठाकुर!
हारना ही था उसे, वो अकेला लड़ा था,
क्या जन्मभूमि ये तुम्हारी नहीं थी?
फिर क्यों अकेला लड़ा ठाकुर?
बीवी सती हुई, बच्चे अनाथ!!
हिन्दु तो बचा पर, भरी जवानी में
मरा ठाकुर!
सदियों से रक्त दे माटी को सींचा,
जन जन्मभूमि और धर्म की वेदी पर
मिटा ठाकुर!
जिनके लिए सब कुछ खोया,
क्यों उनकी ही नजरों में बुरा? फिल्मों का ठाकुर!
कहानियों-किस्सों का ठाकुर!
कविताओं का ठाकुर!
जब दुबक बैठे थे घरों में सब तमाशबीन,
तब पीढ़ियां युद्धभूमि में बलिदान कर रहा था ठाकुर,
आज बुद्धिजीवी पानी पी पीकर बरगलाते हैं और कोसते हैं कि आखिर कौन है ये ठाकुर…?
कौन बताए उन्हें कि कफन केशरिया करके,
मूछों पर ताव देकर मौत को गले लगाने वाला जांबाज ही ठाकुर था।”
मनोज झा के पक्ष में राजद
दूसरी ओर मनोज झा के पक्ष में राष्ट्रीय जनता दल ने आधिकारिक प्रतिक्रिया दी है। राजद के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से मनोज झा का पूरा भाषण पोस्ट किया गया है और उसे शानदार बताया गया है।