पिछले दिनों बिहार में स्थानीय प्राधिकार की 24 सीटों के लिए चुनाव हुए। इसमें सबसे अधिक चर्चा में रही सारण सीट। इस सीट पर सिटिंग एमएलसी सच्चिदानंद राय (MLC Sachidanand Rai) का टिकट काट कर भाजपा ने दूसरें को दे दिया। सच्चिदानंद राय बागी बन गए। चुनाव लड़ा भाजपा के खिलाफ और जीता भी। अब वही सच्चिदानंद राय अलग राह बनाने के लिए पोज मार रहे हैं। जदयू और नीतीश कुमार को खास पसंद नहीं करने वाले सच्चिदानंद राय अब जदयू के ही नजदीक जा रहे हैं। चुनाव जीतने के बाद जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से सच्चिदानंद राय मिल भी चुके हैं। इस मुलाकात को सच्चिदानंद राय तो सिर्फ अनौपचारिक बता रहे हैं लेकिन सियासत कुछ और पकती दिख रही है।
भूमिहार होने का फायदा !
सच्चिदानंद राय भूमिहार जाति से आते हैं और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी भूमिहार भी हैं। सच्चिदानंद राय इन दिनों भाजपा से नाराज हैं तो विधान परिषद में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए जदयू इनका पूरा इस्तेमाल करने की कोशिश कर सकती है। सच्चिदानंद राय मुखर नेता हैं और जदयू के पास ऐसा नेता होने से सारण में उसकी धमक दिखने लगेगी।
शामिल नहीं हो सकते
वैसे तो कयास यह लगाए जा रहे हैं कि सच्चिदानंद राय जदयू में शामिल हो सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं हो सकता। सच्चिदानंद राय निर्दलीय जीते हैं और सीट पर बने रहने के लिए उन्हें निर्दलीय ही रहना होगा। समर्थन किसी को भी दे सकते हैं, इस पर कोई संवैधानिक रोक नहीं है।