प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राम और खुद को उनका हनुमान बताने वाले चिराग पासवान इन दिनों काफी चर्चा में हैं। वजह NDA में चिराग की पार्टी वापसी है। करीब दो साल तक NDA गठबंधन से दूर रहने के बाद चिराग पासवान ने वापसी की है। वापसी के समय जैसा स्वागत प्रधानमंत्री ने उन्हें गले लगाकर किया, उसने एक बार फिर राम और हनुमान वाले चर्चा को जन्म दे दिया। अब बड़ा सवाल ये है कि आखिर दो सालों तक NDA से चिराग की दूरी क्यों रही? आखिर ‘हनुमान’ को ‘राम’ से दूर किया किसने? कौन कुसूरवार है? इनसब सवालों का जवाब खुद चिराग पासवान ने दिया है।
चाचा पारस नहीं नीतीश थे राह के रोड़ा
चिराग पासवान का NDA से अलग होने के पीछे सबसे बड़ी वजह उनके चाचा पशुपति पारस को माना जा रहा था। लोजपा में टूट के बाद पारस की पार्टी NDA का हिस्सा रही पर चिराग की पार्टी अलग हो गई। ऐसा माना जा रहा था कि भाजपा की तरफ से भी पारस को काफी तरजीह दी गई जिससे चिराग नाराज थे। लेकिन चिराग ने NDA से अलग होने की कुछ और ही वजह बताई है। एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में उन्होंने NDA से अलग होने के पीछे सबसे बड़ा रोड़ा नीतीश कुमार को बताया है।
नीतीश के साथ वाली NDA पसंद नहीं
चिराग पासवान से NDA से दो साल तक दूरी बनाए रखने को लेकर सवाल किया गया। जिसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि NDA की राह से अलग होने का एक ही कारण थे और वही वापस आने के कारण भी बने। वो कोई और नहीं बल्कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। उन्होंने कहा कि मेरे पिता और मेरे नेता रामविलास पासवान कभी भी नीतीश कुमार के साथ काम करने में सहज नहीं थे। उनका भी मानना था कि नीतीश कुमार जात-पात, धर्म-मजहब की राजनीति करते हैं।
बिहार को लेकर इनके पास कोई वीजन नहीं है। 2005 में उन्होंने हमारे पार्टी के विधायकों को तोड़ने का काम किया। इतना ही नहीं उन्होंने हमेशा हमारे नेता रामविलास पासवान के कद को छोटा करने का प्रयास किया। इसलिए 2014 में भी हमलोग तब तक NDA गठबंधन में नहीं गए जब तक नीतीश कुमार उस गठबंधन का हिस्सा थे। उनके अलग होने के बाद ही NDA गठबंधन में शामिल होने का निर्णय लिया गया।
2017 में जब नीतीश कुमार वापस आए उस समय मेरे नेता रामविलास पासवान NDA को छोड़ना चाहते थे। लेकिन भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी के हस्तक्षेप के बाद उन्होंने NDA में ही रहने का निर्णय लिया। भाजपा की तरफ से ये विश्वास दिलाया गया कि आपका गठबंधन हमारे साथ, हमारा गठबंधन आगे किसके साथ है इसकी चिंता आप मत करिए। लेकिन नीतीश कुमार ने 2019 में धोखा देने की अपनी पुरानी आदत को अपनाया। उन्होंने हमारी पार्टी के प्रत्याशियों को हराने का प्रयास किया। जिसके बाद हमारे नेता रामविलास पासवान ने अपने रहते ये निर्णय ले लिया था कि हम NDA से अलग होंगे।