आज लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा पर आचार समिति की रिपोर्ट को लोकसभा में पेश की गई है। भाजपा सांसद विजय सोनकर ने रिपोर्ट को सभा के पटल पर रखा। इस दौरान विपक्ष के सांसदों ने जमकर हंगामा किया जिस कारण लोकसभा की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है। दोबारा कार्यवाही शुरू होते ही रिपोर्ट पर लोकसभा में चर्चा भी हुई। उसके बाद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द करने का प्रस्ताव लोकसभा में पेश हुआ। ध्वनिमत के आधार पर प्रस्ताव पास हो गया। जिसके बाद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई है। बता दें कि महुआ मोइत्रा पर रिश्वत लेकर लोकसभा में सवाल पूछने तथा लोकसभा का अपना लॉग इन आईडी किसी और को देने का आरोप है।
महुआ को नहीं मिला लोकसभा में बोलने का मौका
आचार समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान टीएमसी की तरफ से बार-बार महुआ मोइत्रा को बोलने का मौका देने की मांग की गई। TMC सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने अनुरोध किया कि, महुआ मोइत्रा को सदन के समक्ष अपना पक्ष रखने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि मैं प्रस्ताव रखता हूं, मेरी पार्टी की प्रवक्ता खुद महुआ मोइत्रा होंगी क्योंकि आरोप उनके खिलाफ है। अनर्गल आरोप लगाए गए हैं, चाहे यह सच हो या गलत, इसे उन्हें बोलने दीजिए। इस पर संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद पटेल ने आपत्ति जताई। उन्होंने कांग्रेस के शासनकाल के दौरान हुए ऐसे ही घटना का जिक्र किया। जिसमें 10 सांसदों पर आरोप लगे थे और उनकी संसद सदस्यता रद्द की गयी थी। उस समय के लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने उन सांसदों को बोलने का मौका नहीं दिया था। इसी घटना का जिक्र करते हुए लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने महुआ मोइत्रा को बोलने की अनुमति नहीं दी।
सदन के बहार फूटा महुआ का गुस्सा
महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित होने के बाद विपक्षी सांसद संसद परिसर से वॉकआउट कर गए। सदन से बहार निकलते ही महुआ मोइत्रा ने मीडियाकर्मियों से बात की। उन्होंने कहा कि “एथिक्स कमेटी के पास निष्कासित करने का कोई अधिकार नहीं है…यह आपके (बीजेपी) अंत की शुरुआत है।” उन्होंने कहा कि “अगर इस मोदी सरकार ने सोचा कि मुझे चुप कराकर वे अडानी मुद्दे को खत्म कर देंगे, मैं आपको यह बता दूं कि इस कंगारू कोर्ट ने पूरे भारत को केवल यह दिखाया है कि आपने जो जल्दबाजी और उचित प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है, वह दर्शाता है कि अडानी आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है, और आप एक महिला सांसद को समर्पण करने से रोकने के लिए उसे किस हद तक परेशान करेंगे।”