बिहार विधानसभा उप चुनाव में मिली हार के बाद जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) हर वर्ग पर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं और बार बार कह रहे हैं कि बिहार के लोग सिर्फ जाति पात के नाम पर वोट देते हैं। इस बार उन्होंने शिक्षकों को लेकर टिप्पणी की है। जनसुराज के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हम दो साल पैदल यात्रा किये हैं। जहां कहीं भी शिक्षक मिलते थे यही कहते थे कि 10 वर्ष में अगर सबसे ज्यादा किसी ने शिक्षकों को सताया है तो वह नीतीश कुमार की सरकार है।
उन्होंने कहा कि लेकिन अगर अभी जब चुनाव होगा तो शिक्षक सब कुछ भोल जायेंगे. वह भूल जायेंगे कि वह नियोजित हैं या प्रायोजित। डाक बंगला पर जो लाठी चला था वो ये भूल जायेगा। वह धर्म के नाम पर, जाती के नाम पर जा कर नीतीश कुमार को वोट दे आयेगा। और फिर चुनाव के अगले दिन आयेगा और कहेगा प्रशांत जी जरा हम लोग के लिए आवाज़ उठाइए। जो आदमी खुद अपने लिए आवाज़ नहीं उठा सकता है, उसका कौन भला कर सकता है।
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बता दें कि इससे पहले भी प्रशांत किशोर ने कहा था कि ‘बिहार एक वास्तव में एक पिछड़ा राज्य है, बिहार के सर्वांगीण विकास के लिए बड़े पैमाने पर प्रयासों की जरूरत है। हमें यह समझना होगा कि बिहार एक ऐसा राज्य है जो कई मुश्किलों से घिरा है। अगर बिहार एक देश होता, तो यह जनसंख्या के मामले में दुनिया में 11वां सबसे बड़ा देश होता। हमने जनसंख्या के मामले में जापान को पीछे छोड़ दिया है। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि बिहार के हालात सुधरने को लेकर समाज ‘नाउम्मीद’ हो गया है। जब आप नाउम्मीद हो जाते हैं तो बड़े स्तर पर तत्काल कदम उठाने की जरूरतें इतनी प्रबल हो जाती हैं कि कुछ भी मायने नहीं रखता।’