बिहार की नीतीश-तेजस्वी सरकार एक बार फिर अस्थिरता की ओर बढ़ रही है। राजद और जदयू के नेताओं की बयानबाजी में आर-पार के आसार दिखने लगे हैं। शुरुआत शिक्षा विभाग के मंत्री और अपर मुख्य सचिव के बीच की तनातनी से हुई। विधायिका और कार्यपालिका की टकराहट अब गठबंधन के दलों के बीच के टकराव की ओर बढ़ चली है। राजद और जदयू दोनों के नेताओं ने जैसे गठबंधन तोड़ने की ही ठान ली है। शनिवार को पटना में न सीएम नीतीश कुमार थे और न ही डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव। लालू यादव भी दिल्ली में हैं। लेकिन शनिवार का दिन गठबंधन के लिए उठापटक भरा रहा। वैसे शुरुआत तो पहले से हो चुकी थी, शनिवार को गरमाहट बढ़ी।
अशोक चौधरी पर बरसे सुनील सिंह, कहा- पहले लालू ने बचाया, अब नीतीश को देंगे धोखा
सुनील सिंह ने अशोक चौधरी को लपेटा
जदयू की ओर से मंत्री अशेाक चौधरी ने केके पाठक के बचाव की कोशिश में राजद एमएलसी सुनील सिंह को पहचानने से इनकार कर दिया। तो जवाब में सुनील सिंह ने अशोक चौधरी पर ऐसे ऐसे आरोप लगा दिए कि लगा ही नहीं कि दोनों एक ही गठबंधन के नेता हैं। सुनील सिंह ने अशोक चौधरी को गद्दार, दल बदल करने वाला नेता और भाजपा से साठ-गांठ रखने का आरोपी बना दिया। सुनील सिंह ने यह भी दावा किया कि 2025 के पहले अशोक चौधरी जदयू का साथ छोड़ देंगे। साथ ही अपने बारे में सुनील सिंह ने कहा कि वे मरते दम तक राजद और लालू परिवार के साथ रहेंगे।
मनोज झा ने की बीच बचाव की कोशिश
राजद और जदयू नेताओं के बयान जब सुर्खियों की ओर चढ़ने लगे तो बीच-बचाव में बयान आया मनोज झा का। राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा ने देश और देश की राजनीति के मुश्किल हालात का हवाला देते हुए राजद और जदयू नेताओं से सीज फायर की अपील की। अपील में मनोज झा ने यह भी कहा कि एक नौकरशाह और एक राजनेता के बीच का मामला तो लगभग सुलझ गया है लेकिन आउट ऑफ टंग बयानबाजी शुरू हो गई है। इससे सभी बचें। मनोज झा ने कहा कि गठबंधन बहुत महीन गहराइयों में सभी की चिंताओं को देखता है। इसलिए छोटी चीजों में उलझकर बड़े लक्ष्य की महत्ता कम न करें।
रणबीर नंदन ने पूरे राजद पर किया वार
मनोज झा की कोशिश भी रंग नहीं ला सकी क्योंकि जदयू ने मनोज झा की कोशिश को राजद की दोहरी नीति बता दिया। जदयू के नेता व पूर्व विधान पार्षद डॉ. रणबीर नंदन ने अशोक चौधरी के बयानों का समर्थन करते हुए सुनील सिंह, मनोज झा और राजद की पूरी नीति पर वार किया। डॉ. नंदन ने कहा कि राजद के साथ परेशानी ये है कि उसे न गठबंधन धर्म निभाना आ रहा है और न ही अपने बड़बोले नेताओं पर काबू रखना। एक तरफ राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा संयम के साथ रहने की बात कर रहे हैं तो दूसरी ओर राजद के अन्य नेता जदयू के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। कभी सुधाकर सिंह बोलते हैं तो कभी सुनील सिंह लेकिन राजद का नेतृत्व दोनों पर चुप है। मनोज झा भी अपने नेताओं से सीधे संवाद करने की बजाय न्यायोचित सीख देने का ढोंग कर रहे हैं।
भाजपा के साथ गठबंधन की तारीफ
दूसरी ओर डॉ. नंदन ने यह भी कह दिया कि यदि मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार जी के कार्यकाल का अवलोकन हो तो पुराने लोगों के मुकाबले आकाश जमीन का अंतर नजर आता है। इस अंतर को यदि यदि बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी जी ने परिभाषित किया है, तो गलत क्या है? गठबंधन का मतलब आत्मसमर्पण नहीं होता है और गठबंधन पर किसी के भी बोल देने से फर्क नहीं पड़ता। लेकिन गठबंधन के हर नेता-कार्यकर्ता का धर्म है कि वे अनर्गल बातों को बढ़ावा न दें। जदयू पहली बार गठबंधन सरकार में नहीं है। पहले भाजपा के साथ जदयू का गठबंधन रहा है लेकिन कार्यपालिका और विधायिका में कहीं कोई टकराव नहीं हुआ था। लेकिन राजद के नेताओं को गठबंधन नहीं समझ आ रहा।