बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इन दिनों जन विश्वास यात्रा पर हैं। 22 फरवरी को तेजस्वी यादव का काफिला सारण प्रमंडल में रहा। इसमें पहला पड़ाव सीवान था। सीवान और राजद का नाता पुराना है। लालू यादव जब सक्रिय तौर पर राजद की बागडोर संभाल रहे थे तो कहा जाता है कि सीवान से उन्हें पूरा बिहार नियंत्रित करने की ताकत मिलती थी। सीवान के पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन वैसे बाहुबलियों में गिने जाते रहे, जो लालू यादव के साथ हर हाल में खड़े रहे। ऐसा नहीं था कि लालू यादव की पार्टी में अकेले बाहुबलि शहाबुद्दीन ही थे। पप्पू यादव, तस्लीमुद्दीन जैसे बाहुबलि नेता भी लालू की पार्टी में थे। लेकिन इन सभी ने कभी न कभी लालू यादव का साथ छोड़ दिया। जबकि जेल में होने के बावजूद शहाबुद्दीन अपनी मौत तक राजद में ही बने रहे। लेकिन अब राजद और शहाबुद्दीन परिवार के रास्ते अलग दिख रहे हैं।
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दरअसल, तेजस्वी यादव अपनी जन विश्वास यात्रा के दौरान बात तो सभी से मिलकर रहने की करते रहे लेकिन वे अपने पुराने सहयोगी-साथी जोड़ने में नाकाम रहे। शहाबुद्दीन की पत्नी न तो तेजस्वी यादव के मंच पर दिखीं और न ही समर्थन में। मीडिया से बात करते हुए तेजस्वी यादव सभी को साथ लाने की बात करते रहे लेकिन हीना शहाब से मिलने के सवाल पर अपनी व्यस्तता और निर्धारित शेड्यूल का हवाला दे दिया।
वहीं हीना शहाब भी अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम की बात करते हुए राजद के कार्यक्रम से दूर रहीं। अब इस दूरी का मतलब यह निकाला जा रहा है कि शहाबुद्दीन परिवार और राजद का नाता लगभग टूट चुका है। पिछले दिनों हीना शहाब ने इसका संकेत भी दिया था जब उन्होंने यह कह दिया था कि वे किसी राजनीतिक दल में नहीं हैं। कई लोग शहाबुद्दीन परिवार की नजदीकियां जदयू से बताते हैं तो कुछ का दावा है कि हीना शहाब अपना राजनीतिक भविष्य चिराग पासवान की पार्टी में देख रही हैं। वैसे हकीकत जो भी हो, फिलहाल तेजस्वी के दौरे ने इतना तय कर दिया है कि शहाबुद्दीन परिवार और राजद की राह अलग दिख रही है।