“प्रैक्टिस इंसान को परफेक्ट बनाती है”—यह मंत्र है जम्मू-कश्मीर के खिलाड़ी उमर अहमद राथर का, जो अब अपनी मेहनत और समर्पण के दम पर भारतीय पुरुष टीम में जगह बनाने के लिए प्रयासरत हैं। बडगाम के रहने वाले उमर ने कक्षा 6 से ही खो-खो खेलना शुरू किया और अब वह जनवरी 2025 में नई दिल्ली में होने वाले पहले खो-खो वर्ल्ड कप में भारत का प्रतिनिधित्व करने का सपना देख रहे हैं।
उमर ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपना अभ्यास जारी रखा। उन्होंने कहा कि “मैं वर्ल्ड कप को लेकर बहुत उत्साहित हूं। यह हमारे लिए एक बड़ा अवसर है, और हमारा लक्ष्य देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना है। यह हमारे खेल को वैश्विक पहचान दिलाने का भी समय है, क्योंकि 20 से अधिक देश इस टूर्नामेंट में भाग लेंगे।”
उमर एक साधारण परिवार से आते हैं। उनके पिता और वह मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। उमर ने बताया, “हालात मुश्किल हैं, लेकिन मेरा अंतिम लक्ष्य देश का प्रतिनिधित्व करना है, और यही मेरा हौसला बढ़ाता है।”
उमर ने जम्मू-कश्मीर खो-खो एसोसिएशन और खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया (KKFI) का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उन्हें पेशेवर रूप से खेल में आगे बढ़ने का मंच दिया। उन्होंने कहा कि “हमें फिटनेस, पोषण और डाइट के बारे में उचित मार्गदर्शन मिल रहा है। यह हमारे प्रदर्शन में बड़ा बदलाव ला रहा है।”
उमर इस समय नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित प्रशिक्षण शिविर में अभ्यास कर रहे हैं। उन्होंने अपने कोच बिलाल अहमद भगत और अन्य प्रशिक्षकों की तारीफ करते हुए कहा कि “यह शिविर हमें अपनी स्किल्स को सुधारने और विभिन्न राज्यों के खिलाड़ियों से नई तकनीक और संस्कृति सीखने का अवसर देता है।”
आपको बता दें कि भारत 13 से 19 जनवरी 2025 के बीच नई दिल्ली में पहले खो-खो वर्ल्ड कप की मेजबानी करेगा। उमर का सपना है कि वह इस ऐतिहासिक आयोजन में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतकर अपनी मेहनत का फल पाए।
उमर की कहानी केवल एक खिलाड़ी की नहीं, बल्कि संघर्ष और सपनों के बीच पुल बनाने की प्रेरणा है।