RANCHI: झारखण्ड में हेमंत सरकार की नियोजन नीति के खिलाफ आदिवासी छात्र संगठन, झारखण्ड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन समेत विभिन्न छात्र संगठनों की ओर से आज झारखण्ड बंद का ऐलान किया गया है। बंद की इस घोषणा का असर यह रहा कि सभी स्कूलों ने अपने यहां छुट्टी कर दी है।
छात्रों को शतप्रतिशत नौकरी मिले
प्रदर्शन कर रहे छात्र संगठनों ने 60-40 नाय चलतो का नारा दिया है। छात्र नेताओ ने कहा कि यह बंदी राजनीतिक नहीं है। यह छात्रों की बंदी है। 60-40 नाय चलतो, झारखण्डी छात्रों को शतप्रतिशत नौकरी मिले, सरकार को खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू करना होगा। पिछले कई महीनों से राज्य के झारखण्डी छात्र खतियान आधारित संवैधानिक नियोजन नीति की मांग पर आंदोलनरत हैं। इसके लिए लाठियां भी खाईं।
टायर जलाकर सड़क जाम
इसके बावजूद राज्य सरकार की आंखें नहीं खुल रही हैं। सरकार मनमाना रवैया अपना रही है। राज्य सरकार ने हमारा हक मारकर शिक्षा नीति लागू कर दिया है। छात्र एवं आदिवासी संगठनों के सदस्य ने राज्य के कई जिलों में जिसमें राँची,रामगढ,धनबाद, जमशेदपुर,सरायकेला,सिमडेगा,साहेबगंज,दुमका सहित अन्य जिलों में बंद समर्थक बंद कराने सड़कों पर निकले हैं।कई जगहों पर टायर जलाकर सड़क जाम कर दिया है। इस दौरान आसपास की दुकानें बंद हैं। राहगीरों को आने-जाने में समस्या हो रही है।
सब्जी मंडी को बन्द ,छात्र संगठन उतरे सड़क पर
झारखंड में 1932 आधारित खतियान के आधार पर स्थानीय नियोजन नीति लागू करने कि मांग को लेकर अलग-अलग छात्र संगठनों ने आज झारखंड बंद का आह्वान किया है। आज छात्र संगठन के सदस्य सड़क पर उतरकर मोरहाबादी सब्जी बाज़ार को बंद कराया। इस दौरान छात्र संगठन के सदस्यों ने सब्जी विक्रेताओं को समझाया और झारखंड बन्द में सहभागिता निभाने को कहा है।
मशाल जुलूस निकालकर नारेबाजी की
बता दें कि कल को धनबाद में छात्र संगठनों ने मशाल जुलूस निकालकर नारेबाजी की और झारखंड बंद को सफल बनाने का आह्वान किया था। झारखंड के स्थानीय मूलवासी झारखंडी छात्र संघों ने सूबे में 1932 आधारित खतियान के अनुरूप नियोजन नीति लागू करने कि मांग रखी है। झारखंडी छात्र बीते चार महीनों से इसको लेकर मांग करते आ रहे हैं और सोशल मीडिया के जरिए अपनी मांगों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। इसका असर भी देखा जा रहा है। भारी संख्या में स्थानीय छात्र और उससे जुड़े संगठन खतियान आधारित स्थानीय नीति की मांग के समर्थन में आगे आ रहे हैं। छात्रों का कहना है कि वर्तमान सरकार 60-40 के फॉर्मूले पर नियोजन नीति को लागू कर रही है जो यहां के स्थानीय मूलवासी के भावनाओं के साथ खिलवाड़ है।