जहानाबाद के पूर्व लोकसभा सांसद डॉ. अरुण कुमार का राजनीतिक कॅरियर भी सजा की भेंट चढ़ गया है। जहानाबाद कोर्ट ने डॉ. अरुण कुमार को तीन साल की सजा सुनाई है। यानि अब वे चुनाव नहीं लड़ सकते। अगर डॉ. अरुण कुमार को अगला लोकसभा चुनाव लड़ना है तो उच्च अदालत से क्लीन चिट लानी होगी। डॉ. अरुण कुमार को यह सजा सात साल पहले दिए एक बयान के मामले में दी गई है। दीगर है कि जिस अनंत सिंह के लिए अरुण कुमार ने नीतीश कुमार से पंगा ले लिया, दोनों ही चुनावी राजनीति से बाहर हो गए हैं।
अनंत पर कार्रवाई का किया था विरोध
बात 2015 की है। डॉ. अरुण कुमार तब रालोसपा के सांसद थे। रालोसपा तब NDA में शामिल थी। नीतीश कुमार और जदयू एनडीए से बाहर थे। उस साल बिहार विधानसभा का चुनाव होना था। उसके पहले ही तत्कालीन जदयू विधायक अनंत सिंह पर एक मामले में कार्रवाई हो गई। चुनावी वक्त में मामले ने जातिगत रंग ले लिया था। जाति से भूमिहार अनंत के पक्ष में उसी जाति के डॉ. अरुण कुमार ने कार्रवाई का कड़ा विरोध किया।
नीतीश पर की विवादित टिप्पणी
डॉ. अरुण कुमार न सिर्फ अनंत सिंह पर हुई कार्रवाई के विरोध में खड़े हुए। बल्कि उन्होंने सीएम नीतीश कुमार का सीना तोड़ने का बयान दे दिया। डॉ. अरुण कुमार के इसी बयान से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए जहानाबाद व्यवहार न्यायालय ने उन्हें तीन साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने उन पर 5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। हालांकि बाद में कोर्ट ने पांच हजार के मुचलके पर पूर्व सांसद अरुण कुमार को जमानत दे दी।