बिहार में मदरसों में गड़बड़ी की आशंका को लेकर जांच प्रक्रिया चल रही है। जांच रिपोर्ट 10 फरवरी तक आनी है। इसके लिए 27 जिलों में जांच प्रक्रिया तेज कर दी गई है। बिहार सरकार इन जिलों के सभी मदरसों के बारे में मानकों की जांच कर रही है। इसके लिए हर जिले में अलग टीमें बनीं हैं। हर जिले में तीन सदस्यीय समिति जांच कर रही है। इस समिति में वरीय उप समाहर्ता को अध्यक्ष बनाया गया है। इन्हें संबंधित जिले के डीएम की ओर से प्राधिकृत किया गया है। जबकि समिति जिले के डीईओ सदस्य सचिव हैं और संबंधित प्रखंड के बीईओ सदस्य बनाए गए हैं।
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सीतामढ़ी में आया था गड़बड़ी का मामला
मदरसों के जांच की यह प्रक्रिया तब शुरू हुई है जब सीतामढ़ी से गड़बड़ी का मामला सामने आया था। इसमें जाली अनापत्ति प्रमाण पत्र पर कुछ मदरसों को मान्यता देने और फिर उसी के आधार पर अनुदान मिलने का मामला सामने आया था। जब वहां के 80 से अधिक मदरसों की जांच में खुलासा हुआ कि ये सरकारी नियम और उसके निर्धारित मापदंड को पूरा नहीं करते हैं। फिर भी सरकार से अनुदान ले रहे हैं। तब प्रशासन की बेचैनी बढ़ गई। यह मामला पटना हाई कोर्ट में भी आया। हाई कोर्ट के निर्देश पर अनुदान रोक कर जांच की प्रक्रिया शुरू की गई।
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हाई कोर्ट की सख्ती के बाद शुरु हुई जांच
राज्य के मदरसों में अनुदान का बंदरबांट तो ऐसे ही चलते रहता, अगर हाई कोर्ट ने सख्त निर्देश जारी नहीं किए रहते। पिछले माह ही हाई कोर्ट के निर्देश के बाद बिहार के 2459 मदरसों की जांच की प्रक्रिया शुरू हुई। 29 नवंबर, 1980 के बाद के राज्य सरकार से अनुदानित 2459 मदरसों की जांच करने का आदेश पटना हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को दिया है। कोर्ट ने तुरंत सूबे के सभी जिलाधिकारियों के साथ बैठक कर उनके संसाधनों के बारे में जांच करने को कहा और जांच पूरी होने तक मदरसों को अनुदान राशि नहीं देने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने जाली कागजात पर मदरसों को दी गई मान्यता पर दर्ज प्राथमिकी के संबंध में राज्य के डीजीपी को अनुसंधान की पूरी जानकारी कोर्ट को देने का भी आदेश दिया।