जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को पिछले साल दिसंबर में दूसरा कार्यकाल मिला। लोकसभा में जदयू के सांसद होने के साथ ललन सिंह लगातार जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल के पहले मिशन में ललन सिंह फेल हो गए हैं। ऐसे में नीतीश कुमार के लिए सबसे बड़ी मुसीबत यही है कि वे आगे किसके भरोसे आगे बढ़ेंगे।
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मिशन नागालैंड में फेल, अब कोस रहे BJP को
पिछले दिनों हुए नागालैंड विधानसभा चुनाव में जदयू जोर शोर से उतरी। टारगेट था कि न सिर्फ भाजपा को जवाब दिया जाए, बल्कि नागालैंड में सीटें और वोट बटोर कर जदयू भी एक विकल्प बन कर उभरे। जैसे तैसे एक सीट पर जीत भी मिल गई। लेकिन सरकार बनने से पहले इकलौते जदयू विधायक ने भी भाजपा के गठबंधन वाली सरकार का समर्थन कर दिया। अब ललन सिंह भाजपा को कोस रहे हैं कि भाजपा विधायकों को तोड़ने वाली पार्टी है।
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जदयू से आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के हट जाने के बाद नीतीश कुमार का सबसे अधिक भरोसा ललन सिंह पर ही है। लेकिन ललन सिंह फेल होते रहेंगे तो नीतीश कुमार के आगे की राजनीति मुश्किल में आ जाएगी। क्योंकि नीतीश कुमार 2024 में विपक्ष को एक कर उसका नेता बनना चाहते हैं। लेकिन भाजपा के खिलाफ दूसरे पार्टियों से भी सहयोग की अपेक्षा रखने वाले नीतीश कुमार के साथ मुश्किल यह हो गई है कि उनकी पार्टी के नेता ही उन्हें बिना बताए भाजपा को समर्थन दे दे रहे हैं। नागालैंड में यही हुआ। इससे भी बड़ी दिक्कत ये है कि आशंका के बावजूद बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह कुछ कर नहीं पाए।