बिहार राज्य में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं। विभाग ने निर्देश दिया है कि बाढ़ के दौरान डॉक्टर मरीजों के इलाज के लिए सभी अस्पतालों में तैनात रहेंगे। इस दौरान जलजमाव में कई प्रकार की जलजनित बीमारियों का खतरा होता है। साथ ही बाढ़ में पानी से घिरे लोगों को, बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजूर्गों को इलाज की सुविधा सुनिश्चित करनी है।
स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव शैलेश कुमार ने सिविल सर्जनों को भेजे गये निर्देश में कहा है कि दक्षिण बिहार के अरवल, औरंगाबाद, बांका, गया, जमुई, जहानाबाद, कैमूर, नवादा और रोहतास जिले को छोड़ कर सभी जिलों में यह लागू होगा।
इन जिलों को छोड़ कर अन्य जिलों में पदस्थापित सभी चिकित्सा पदाधिकारी, सभी स्वास्थ्य कर्मी नियोजित सहित, स्वास्थ्य प्रशिक्षक, पारा मेडकल स्टाफ, जीएनएम, एएनएम, शल्य कक्ष सहायक, लैब तकनीशियन और कार्यालय परिचारी के सभी प्रकार के छुट्टी को रद्द किया जाता है। इसमें मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्राचार्य और अधीक्षक से लेकर निदेशक प्रमुख तक शामिल हैं।
विभाग ने अध्ययन अवकाश और मातृत्व अवकाश को इससे अलग रखा है। आदेश में यह भी कहा गया है कि जो चिकित्सा पदाधिकारी या स्वास्थ्य कर्मी अवकाश पर हैं, उन्हें तुरंत अपने कर्तव्य पर योगदान करना है।
यह निर्देश बाढ़ की स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित होने से रोकने के लिए जारी किया गया है। विभाग का कहना है कि बाढ़ के दौरान लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं की सबसे ज्यादा जरूरत होती है और डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की तैनाती सुनिश्चित कर यह सुविधा लोगों तक पहुंचाई जाएगी