बिहार सरकार में मंत्री रहे मुकेश सहनी झटके में सरकार से बाहर हो गए थे। तब बिहार में मुख्यमंत्री तो नीतीश कुमार ही थे, लेकिन सरकार में साझीदार भाजपा थी। 2020 में चार विधायकों वाली वीआईपी का अस्तित्व तब खतरे में आ गया जब उसके सभी विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया। इसके बाद बिहार में सरकार के साझीदार बदल गए लेकिन मुकेश सहनी किसी पाले में नहीं रहे। एनडीए के खिलाफ I.N.D.I.A. का गठन भी हुआ, लेकिन मुकेश सहनी उससे भी दूर रहे। लेकिन अब मुकेश सहनी एक बार फिर लाइमलाइट में आ गए हैं क्योंकि चर्चा है कि जदयू से उनकी डील तय हो गई है और जदयू उन्हें I.N.D.I.A. में लाने को इच्छुक है। चर्चा यह भी है कि मुकेश सहनी बिहार सरकार में मंत्री भी बनेंगे और यह सबकुछ जनवरी 2024 में हो जाएगा। आपको बता दें कि विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) प्रमुख मुकेश सहनी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने के लिए थैंक्यू कहा है।
आरक्षण बढ़ाने की मांग पूरी
मुकेश सहनी के बारे में कहा जा रहा है कि उनकी नीतीश कुमार से नजदीकी लगातार बढ़ी है। पिछले कई हफ्तों से उन्होंने बिहार की नीतीश सरकार पर हमले छोड़, भाजपा को ही निशाने पर रखा है। मुकेश सहनी बार बार कहते रहे हैं कि जो भी निषादों का आरक्षण बढ़ाएगा, उसके साथ वे चले जाएंगे। इधर जातीय गणना के बाद बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ने से मुकेश सहनी की मांग तकनीकी रूप से पूरी होती दिख रही है। इसलिए संभावना जताई जा रही है कि मुकेश सहनी अब भाजपा के ऑफर का इंतजार नहीं करेंगे। पहले चर्चा थी कि मुकेश सहनी भाजपा के साथ बातचीत कर रहे हैं। लेकिन लोकसभा और विधानसभा में उचित भागीदारी नहीं मिलने से भाजपा के साथ उनकी बात नहीं बनी। अभी नीतीश कुमार की पार्टी के साथ उनके बेहतर होते संबंध साफ बता रहे हैं कि उनकी सरकार में वापसी हो सकती है।
पुराने मंत्रालय में होगी वापसी?
चर्चा यहां तक चलने लगी है कि मुकेश सहनी अगर सरकार में शामिल होते हैं तो क्या वे अपने पुराने विभाग के मंत्री बनेंगे या उन्हें कोई नया विभाग दिया जाएगा। दरअसल, महागठबंधन की सरकार में पशु एवं मत्स्य विभाग कांग्रेस के हिस्से चला गया है। जबकि मुकेश सहनी अगर महागठबंधन में एंट्री लेंगे तो जदयू कोटे से ही मंत्री बनेंगे। ऐसे में पुराना विभाग मिलना नीतीश कुमार पर निर्भर करेगा। आपको बता दें कि मुकेश सहनी अपना विधानसभा चुनाव जीत नहीं सके थे और उन्हें भाजपा ने विधान परिषद का सदस्य बनवा कर मंत्री बनाया था। मुकेश सहनी अभी भी विधानमंडल में किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। ऐसे में जदयू को उनके लिए विधान परिषद की सीट भी व्यवस्था करनी होगी। हालांकि इसके लिए मुकेश सहनी के पास मंत्री बनने के बाद भी 6 माह का मौका होगा।