जनता दल यूनाइटेड की राष्ट्रीय पार्टी बनने की उम्मीदों को करारा झटका लगा है। यह झटका उस बिहार में नहीं लगा, जहां पिछले 18 सालों से जदयू सत्ता में है। बल्कि यह झटका उस नागालैंड में लगा है, जहां पिछले दिनों JDU नेताओं ने बड़े बड़े दावे किए थे। जेपी की जयंती पर सीएम नीतीश कुमार नागालैंड होकर आए। राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने नागालैंड का दौरा किया। लेकिन विधानसभा चुनाव में वैसा प्रदर्शन नहीं रहा। हालांकि जदयू ने एक सीट पर जीत तो दर्ज की। लेकिन जीत के बाद वहां के जदयू विधायक ने भाजपा का दामन थाम लिया। मतलब ये हुआ कि JDU ने वोट बटोर कर सीट तो पक्की कर ली। लेकिन नेता पक्का नहीं कर सके।
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भाजपा को जदयू विधायक का समर्थन
नागालैंड में एक बार फिर भाजपा की गठबंधन सरकार बनी है। इस गठबंधन सरकार को JDU की नागालैंड इकाई की तरफ से बिना शर्त समर्थन दिया गया है। इसको लेकर नगालैंड जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने समर्थन पत्र सौंप दिया है। नागालैंड इकाई के इस फैसले के बाद जदयू ने बड़ी कार्रवाई की है। जदयू नेतृत्व के तरफ से नागालैंड इकाई को भंग कर दिया गया है। नागालैंड प्रभारी और जनता दल यूनाइटेड के महासचिव अफाक अहमद खान ने पत्र जारी कर कहा है कि जदयू का केंद्रीय नेतृत्व नागालैंड स्टेट प्रेसिडेंट की ओर से बिना शर्त समर्थन का लेटर नागालैंड मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को दिए जाने को अनुशासनहीनता मानता है। इसको लेकर नागालैंड स्टेट कमेटी को भंग करने का फैसला लिया गया है।
8 उम्मीदवार उतारे, 1 सीट मिली
इस बार नागालैंड विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड ने 8 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। लेकिन जीत एक सीट पर ही मिली। इस बार चुनाव के नागालैंड में सभी दलों ने सरकार का समर्थन किया है। नागालैंड विधानसभा में कोई भी विधायक विपक्ष में नहीं है। चुनाव से पहले JDU को उम्मीद थी कि नगालैंड में पार्टी को 6% वोट प्राप्त हो जाएगा जिससे राज्यस्तरीय पार्टी का दर्जा मिल जाएगा। लेकिन, चुनाव से पहले चिराग पासवान ने बड़ा झटका दिया था। चिराग की पार्टी के दो विधायक जीते हैं।