बिहार में महागठबंधन की नई सरकार में पिछले दिनों अस्थिरता अगर किसी एक मुद्दे पर दिखी है तो वो है सीएम के पद पर कौन। अभी तो सीएम नीतीश कुमार ही हैं। लेकिन राजद के नेता चाहते हैं कि सीएम की कुर्सी अब तेजस्वी को मिले। इसमें दोनों दलों के बीच डील की बात भी कही गई। कोई तेजस्वी को खरमास के बाद सीएम की कुर्सी पर देखना चाहता था तो किसी को होली का इंतजार था। लेकिन अब सब शांत हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि नीतीश कुमार की वो मुराद पूरी हो गई है, जिसकी कामना भी उन्होंने नहीं की होगी। दूसरी ओर तेजस्वी का ख्वाब तो फिलहाल पूरा होता नहीं दिख रहा।
भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद मामला शांत
दरअसल, लालू परिवार इन दिनों एक बार फिर भ्रष्टाचार के आरोपों में घिर गया है। मामला लैंड फॉर जॉब का है। इसमें तेजस्वी यादव भी गहरे फंस रहे हैं। बिहार की राजनीति में विरोध की बंदूकों का निशाना फिलहाल नीतीश कुमार से घूमकर तेजस्वी यादव की ओर हो गया है। कुछ दिन पहले तक नीतीश कुमार को कोसते भाजपा नेताओं की जुबां पर अब तेजस्वी के इस्तीफे की मांग आ गई है। जाहिर तौर पर ये स्थिति नीतीश कुमार के निजी राजनीतिक स्थिति के लिए दुरुस्त है। तेजस्वी यादव अपने ही आरोपों पर जवाब दे रहे हैं, सामना कर रहे हैं। ऐसे में अभी उनके सीएम बनने की तो परिस्थितियां खारिज ही हो रही हैं।
इन मोर्चों पर मिली नीतीश को शांति
- लॉ एंड ऑर्डर : सारण शराबकांड, सारण जातीय हिंसा, फतुहा पार्किंग विवाद, बेगूसराय गोलीकांड, आरा मुआवजा मामला से लेकर कई ऐसे लॉ एंड ऑर्डर से जुड़े मामले थे, जिस पर नीतीश सरकार फंसी हुई थी। लालू परिवार के भ्रष्टाचार के मामले के सामने आते ही सबके निशाने पर लालू परिवार आ गया है।
- राजनीतिक अस्थिरता : तेजस्वी यादव को जिस तेजी से सीएम बनाने की मांग राजद के नेताओं की ओर से उठने लगी थी, या तो जदयू झुकती या फिर अलगाव या मनमुटाव की आशंका बढ़ जाती। लेकिन तेजस्वी के भ्रष्टाचार के मामलों की मौजूदा स्थिति के कारण उन्हें सीएम बनाने वाले स्वर फिलहाल उनके बचाव में ही व्यस्त हैं।
नीतीश ने वो भी बताया, जिसकी जरुरत नहीं थी
बिहार की राजनीति को समझने वाले यह भी बता रहे हैं कि पिछले दिनों नीतीश कुमार ने वो भी सार्वजनिक तौर पर बताया है, जिसकी जरुरत शायद नहीं थी। संभवत: यह उनकी दबाव वाली नीति हो सकती है। इस कड़ी में पहला मामला नीतीश कुमार और गृह मंत्री अमित शाह की वन-टू-वन बात का है। नीतीश कुमार ने बताया कि बिहार में नए राज्यपाल की नियुक्ति के बारे में अमित शाह ने उनसे बात की। इस बात को सार्वजनिक नीतीश कुमार नहीं भी करते तो भी काम चल जाता। लेकिन उनके इस बात को बताने के पीछे राजद नेताओं को चुप कराने की नीति मानी जा रही है।
इससे पहले 2017 में जब नीतीश अलग हुए थे तो भी कारण तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोप ही हैं। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार ने राजद को यह मैसेज दिया है कि भाजपा से उनकी बातचीत पूरी तरह बंद नहीं हुई है। हालांकि दूसरी ओर सीएम यह भी दिखाने का प्रयास कर रहे हैं कि वे राजद के साथ ही खड़े हैं, गठबंधन नहीं तोड़ने वाले।