कभी सलाहकार की भूमिका में रहे प्रशांत किशोर अपनी राजनीति की शुरुआत पदयात्रा से करना चाहते हैं। उन्होंने इसकी घोषणा भी कर दी है। Prashant Kishore के मुताबिक उनकी पदयात्रा लगभग 3000 किलोमीटर लंबी होगी और अनुमान है कि इसे पूरा करने में 12 से 15 महीनों का समय लग सकता है। इस पदयात्रा के माध्यम से प्रशांत किशोर बिहार की समस्याओं को सीधे जनता के बीच जाकर समझना चाहते हैं। पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर बिहार के हर जिले में समय बिताएंगे। वे वहां के सभी लोगों से मिलने का प्रयास करेंगे, जो बिहार के विकास लिए सकारात्मक प्रयास करना चाहते हैं। प्रशांत किशोर की यह प्लानिंग इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके पूरे होने के बाद कई राजनीतिक हस्तियां उनसे पीछे छूट जाएंगी।
पदयात्राओं का रहा है लंबा इतिहास
देश में पदयात्रा का इतिहास पुराना रहा है। नेताओं ने कई बड़ी और ऐतिहासिक पदयात्राएं की हैं। आजादी से पहले महात्मा गांधी ने चांपरण सत्याग्रह के दौरान, दांडी मार्च के दौरान और अन्य कई मौकों और पदयात्राएं की थी। आजादी के बाद भी देश के कई नेताओं ने पदयात्रा की है। इस सूची में सबसे बड़ा नाम पूर्व प्रधानमंत्री और समाजवादी नेता चंद्रशेखर का आता है। चंद्रशेखर ने साल 1983 में कन्याकुमारी से दिल्ली के राजघाट तक की पैदल यात्रा की थी। इस पदयात्रा को ‘भारत यात्रा’ का नाम दिया गया था। इस दौरान चंद्रशेखर ने 4260 किमी की दूरी पैदल चल कर तय की थी। इस यात्रा के 7 साल बाद 1990 में चंद्रशेखर देश के प्रधानमंत्री बने थे। चर्चित पदयात्राओं की सूची में दूसरा नाम नेता सह अभिनेता सुनील दत्त का आता है। सुनील दत्त ने 1987 में पंजाब में 2000 किमी की लंबी पदयात्रा की थी। उस दौरान पंजाब में चरमपंथी ताकतें मजबूत थी। उन्होंने इस पदयात्रा के माध्यम से लोगों से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की थी।
PK ने जगनमोहन से भी करवाई थी पदयात्रा
इसके बाद पदयात्राओं की सूची में नाम आता है आंध्र प्रदेश के नेताओं का। इसमें 2003 में पूर्व मुख्यमंत्री वाईएसआर रेड्डी की 1500 किमी लंबी पदयात्रा, 2013 पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की 1700 किमी लंबी पदयात्रा और 2017 से 2019 के बीच वर्तमान मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की 3648 किमी लंबी पदयात्रा शामिल है। जगनमोहन से तो प्रशांत किशोर ने ही पदयात्रा करवाई थी। इन नेताओं को पदयात्रा का लाभ भी मिला और ये तीनों पदयात्रा के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल कर मुख्यमंत्री बने थे। दिग्विजय सिंह ने 2017 से 2018 के बीच ‘नर्मदा यात्रा’ के नाम से 3300 किमी लंबी पदयात्रा 192 दिनों में पूरी की थी। इसका परिणाम भी 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में दिखा। कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में वापस लौटी। हालांकि पार्टी सत्ता को बहुत दिनों तक संभाल कर नहीं रख पाई और 2 साल के भीतर फिर से भाजपा सरकार वापस आ गई।
बिहार में बस सांकेतिक पदयात्रा
बिहार में नेताओं की पदयात्रा का कोई बड़ा उदाहरण नहीं है। CM नीतीश कुमार 2017 में चंपारण सत्याग्रह के 100 साल पूरे होने पर 7 किमी की एक सांकेतिक पदयात्रा में शामिल हुए थे। इस पदयात्रा में उनके साथ तत्कालीन उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी शामिल हुए थे। इसके अलावा बिहार की राजनीति में किसी नेता ने बड़ी पदयात्रा नहीं की है। पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर और लालू यादव जनता के बीच अक्सर पैदल चलते थे। लेकिन उसे एक पदयात्रा नहीं कहा जा सकता है।