‘मिशन 2024’ ध्यान में रखते हुए भाजपा एक के बाद एक निर्णय ले रही है। खास कर बीते कुछ महीनों से बिहार में कई दांव भाजपा की तरफ से चले गए हैं। बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद से गृह मंत्री अमित शाह का कई बार बिहार के दौरे पर आना, नए प्रदेश प्रभारी के रूप में विनोद तावड़े को नियुक्त करना, उसके बाद सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाना बहुत कुछ बयां करता है। दरअसल परिस्थतियों पर गौर करें तो 2024 में ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब लोकसभा चुनाव में भाजपा को महागठबंधन से सीधे टकराना है।
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन से मिली करारी हार को भाजपा भूली नहीं होगी। यही कारण है कि भाजपा द्वारा बिहार में एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रखा जा रहा है। अब तो खुद प्रधानमंत्री मोदी ने भी बिहार पर अपनी सीधी नजर रखने के लिए एक बड़ा दांव चल दिया है।
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बिहार BJP के सह प्रभारी बने सुनील ओझा
दरअसल प्रधानमंत्री के बेहद करीबी सुनील ओझा को बिहार भाजपा का सह प्रभारी नियुक्त किया गया है। इसे लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की तरफ से पत्र जारी किया गया है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो सुनील ओझा को सह प्रभारी बनाए जाने के पीछे कई कारण हैं। उसमें सबसे पहला यही है कि वो प्रधनमंत्री मोदी के काफी करीबियों में से एक हैं। मूलरूप से गुजरात के रहने वाले सुनील ओझा अभीतक यूपी भाजपा के सह प्रभारी थे। उनके बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए, उन्हें बिहार भाजपा का सह प्रभारी बनाया गया है। ऐसा कहा जा रहा है कि इनके जरिए प्रधानमंत्री मोदी बिहार पर अपनी सीधी नजर रखना चाहते हैं।
बिहार पर BJP के फोकस की वजह
बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद से भाजपा शीर्ष नेतृत्त्व का फोकस बिहार की ओर अधिक शिफ्ट हो रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को माना जा रहा है। दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जदयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। तब भाजपा और जदयू के एनडीए गठबंधन को बड़ी सफलता मिली थी। इससे पहले 2014 में भले ही भाजपा और जदयू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा पर उस समय महागठबंधन नहीं था। जिसका फायदा भाजपा को ही मिला है। मौजूदा स्थिति के मुताबिक 2024 में ऐसा पहली बार होगा जब लोकसभा चुनाव में भाजपा को महागठबंधन का सामना करना पड़ेगा। हालांकि महागठबंधन के खिलाफ आज तक भाजपा ने एक विधानसभा चुनाव(2015) ही लड़ा है। जिसमें उसे मुँह की खानी पड़ी थी। यही कारण है कि भाजपा ने अपना ज्यादातर फोकस बिहार की तरफ रखा हुआ है।