बिहार में Nitish Kumar के सीएम बनने के बाद कई योजनाएं शुरू हुई। इन योजनाओं में से कुछ नीतीश सरकार की ने सिग्नेचर योजनाएं बन गईं। हर सभा में उनकी चर्चा करते रहे हैं। उन पर नीतीश कुमार खूब बातें करते रहे हैं। पूरे देश में इसका प्रचार भी किया है। इन्हीं में शामिल है छात्र-छात्राओं को दी जाने वाली साइकिल योजना। यह नौवीं कक्षा के छात्राओं के साथ छात्रों के लिए भी लागू है। अब साइकिल योजना में घोटाले की आशंका हो रही है। घोटाले की आशंका इसलिए जताई जा रही है क्योंकि करोड़ों रुपए का हिसाब कई जिलों से नहीं मिल रहा है।
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500 करोड़ रुपए का है मामला
दरअसल, साइकिल योजना के लिए राशि का आवंटन शिक्षा विभाग द्वारा जिलों के प्रशासन और शिक्षा पदाधिकारियों के माध्यम से किया जाता है। लेकिन कुछ जिले ऐसे हैं, जहां से लगभग 500 करोड़ रुपए का हिसाब मिसिंग है। ऐसा नहीं है कि इस राशि का हिसाब जुटाने के लिए प्रयास नहीं किए गए हैं। शिक्षा विभाग द्वारा बार बार अधिकारियों को पत्र भेज कर हिसाब भेजने का निर्देश दिया गया। लेकिन कुछ जिलों ने कोई हिसाब नहीं भेजा। अब शिक्षा विभाग ने अल्टीमेटम दिया है।
साइकिल योजना का ब्योरा 10 दिनों में मांगा
राज्य के नौ जिलों में यह हिसाब बकाया है। इसमें सबसे टॉप पर है मधुबनी जिला, जहां से 52 करोड़ रुपए से अधिक का हिसाब पेंडिंग है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय कुमार ने इसे लेकर सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिया है। यह मामला 2012-13 से 2018-19 के बीच का है।
इन जिलों में है हिसाब बकाया
- मुजफ्फरपुर : 33 करोड़ 57 लाख रुपए
- पश्चिम चंपारण : 27 करोड़ 53 लाख 87 हजार 500 रुपए
- समस्तीपुर : 13 करोड़ रुपए से अधिक
- वैशाली : नौ करोड़ रुपए
- मधुबनी : 52 करोड़ 68 लाख 77 हजार 500 रुपए
- नवादा : तीन करोड़ 88 लाख से अधिक
- पूर्वी चंपारण : एक करोड़ 89 लाख रुपए
- दरभंगा : 28 करोड़ रुपए से अधिक
- मधेपुरा : छह लाख रुपए
वित्तीय वर्ष में बकाया
- 2012-13 : 29 करोड़ रुपए से अधिक
- 2013-14 : 3 लाख रुपए से अधिक
- 2015-16 : 82 करोड़ रुपए से अधिक
- 2017-18 : 150 करोड़ रुपए से अधिक
- 2018-19 : 100 करोड़ रुपए से अधिक