बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के बीच एक मामले को विवाद ने तूल पकड़ लिया है। मामला तमिलनाडु में हिंसा से जुड़ा है। तमिलनाडु में बिहारियों को स्थानीय लोगों द्वारा पीटे जाने की खबरों पर सरकार एकमत नहीं है। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव अभी तमिलनाडु की यात्रा से लौटे हैं और उन्होंने विधानसभा में बाकायदा जवाब दिया है कि यह कोशिश अफवाह की है। तेजस्वी को समर्थन पूर्व सीएम और उनकी मां राबड़ी देवी ने भी दिया है। तेजस्वी यादव ने इस मामले में लीड लेने की कोशिश की तो की लेकिन अब अचानक मामला पलट गया। बताया जा रहा है कि तेजस्वी इस मामले में सीएम नीतीश कुमार को कॉर्नर करना चाहते थे। लेकिन मामला उलटा पड़ गया और कांग्रेस के साथ राजद के शिवानंद तिवारी ने भी तेजस्वी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
तेजस्वी बोल नहीं रहे, नीतीश सुन नहीं रहे, बिहार में का बा?
शिवानंद कर बैठे तेजस्वी-राबड़ी विरोध
दरअसल, राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने तमिलनाडु की घटना को बेरोजगारी से जोड़ने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि ” बिहार के मजदूरों के साथ तमिलनाडु में हिंसक हमला अत्यंत गंभीर घटना है। यह संकेत है कि देश के अन्य राज्यों में भी बिहारियों को सलाम हिंसा हो सकती है।” शिवानंद तिवारी ने यह बयान दिया तो केंद्र सरकार के विरोध में। लेकिन बयान का एक मतलब यह भी निकाला जा रहा है कि शिवानंद तिवारी तमिलनाडु में बिहारियों पर हमले की खबरों को सच मानते हैं। जबकि उनके नेता तेजस्वी यादव और पूर्व सीएम राबड़ी देवी ने तमिलनाडु में बिहारियों पर हमले को अफवाह ही बताया है।
कांग्रेस भी उतरी तेजस्वी के खिलाफ
भले ही तेजस्वी यादव ने विधानसभा में तमिलनाडु के डीजीपी के बयान को सीरियसली लेते हुए पूरे मामले को अफवाह बता दिया। लेकिन उनके पक्ष में अब कोई नहीं दिख रहा। नीतीश कुमार ने तो मामले की जांच के लिए टीम ही भेज दी। सहयोगी दल भी तेजस्वी यादव के खिलाफ उतर गई है। कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजीत शर्मा ने कहा कि “तमिलनाडु के डीजीपी झूठ बोल रहे हैं। वहां पर बिहारियों के साथ पिटाई की घटना हुई है। यह बहुत दुखद है।” साथ ही अजीत शर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को टीम भेजने के लिए धन्यवाद दिया।