बिहार से लेकर दिल्ली तक छात्र आयोग के नए प्रयोग परसेंटाइल मेथड और बहु पालियों में परीक्षा लेने का विरोध कर रहें है और पुरानी व्यवस्था पर ही परीक्षा लेने की मांग कर रहें है। साथ हीं संघ लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा के बीच प्रारंभिक परीक्षा की तिथि को बदलने की मांग कर रहें हैं।
आयोग ले रही सार्थक कदम पर ये सवाल महत्वपूर्ण हैं
आयोग इस प्रणाली का प्रयोग इसलिए कर रही है क्योंकि छात्रों की संख्या बहुत ज्यादा है, पिछली दफा क्वेश्चन पेपर लीक हो जाने के कारण भरोसेमंद जगहों पर ही सेंटर बनाया जाएगा, और छात्रों का सेंटर भी निकटतम स्थानों पर दिया जाएगा। देखा जाए तो सारे मायनों में आयोग के कदम सार्थक लगते है, लेकिन साथ हीं ये सवाल उठता है कि क्या ये बहु पाली में ली जाने वाली परीक्षा के बाद लगने वाला परसेंटाइल मेथड कितना विश्वसनीय है? क्या इसका प्रयोग किसी और आयोग द्वारा किया गया है? क्या इसकी समीक्षा की गई है? संघ लोक सेवा आयोग के मुख्य परीक्षा के बीच किसी राज्य को प्रारंभिक परीक्षा करवाना चाहिए?
गलती सुधारने के लिए आयोग जल्दीबाजी में लेती है निर्णय
लोक सेवा आयोग की परीक्षा काफी कठिन मानी जाती है, छात्र इसकी वर्षों तैयारी करते है और तीन चरणों को पार करके इसको पास करते है ऐसे में कुछ लोगों द्वारा क्वेश्चन पेपर लीक किया जाता है जिसमें कई प्रतिष्ठित पदों पर बैठे लोग शामिल होते है, और फिर अपनी गलती सुधारने के लिए आनन फानन में एक नई प्रणाली लागू की जाती है जिसकी सत्यता की कोई समीक्षा नही की गई है,इसके बाद छात्रों का विरोध होता है आयोग प्रणाली को वापस लेती है और फिर आनन फानन में एक ऐसे तिथि की घोषणा करती है जो संघ लोक सेवा आयोग के मुख्य परीक्षा के बीच पड़ता है, जबकि आयोग को इतना मालूम होना चाहिए कि बिहार के अधिकतर बच्चे जो लोक सेवा आयोग की तैयारी करते है वो दोनों परीक्षा की तैयारी करते है।
ये सुधार की जानी चाहिए
कुल मिलाकर देखा जाए तो यह राज्य लोक सेवा आयोग के ऊपर एक प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है, और आगे से जो भी प्रयोग करने हो वो नोटिफिकेशन आने के पहले लागू होने चाहिए और उसकी समीक्षा के लिए एक टीम बनानी चाहिए जिसमें राज्य लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष, परीक्षा नियंत्रक, शिक्षाविद और छात्रों के प्रतिनिधि शामिल हो तब जाके हम एक सटीक प्रयोग स्थापित कर पाएंगे। और उसके साथ हीं जो तिथि का निर्धारण हो वो संघ लोक सेवा आयोग और दूसरे राज्य लोक सेवा आयोग के तिथि को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किया जाए ताकि छात्र परेशानी का शिकार न हो।साथ ही राज्य लोक सेवा आयोग को इस वर्ष भी परीक्षा तिथि को लेकर हो रहे मतभेद का जल्द हीं समाधान निकालना चाहिए और नई तिथि की घोषणा कर छात्रों को उहापोह से निकालना चाहिए और इसके साथ ही ये भी आश्वस्त करना चाहिए कि इस परीक्षा को पूरी तरह कदाचारमुक्त लिया जाएगा।
(ये कुणाल कुमार के निजी विचार हैं)