बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर सवालों की झड़ी लगा दी है। ये सभी सवाल उन अग्निवीरों के सुरक्षित जीवन के लिए पूछे गए हैं, जिनकी भर्ती अग्निपथ योजना के तहत करने का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया है। इन सवालों में तेजस्वी केंद्र सरकार पर जमकर बरसे भी हैं।
तेजस्वी के ये हैं 20 सवाल
- 4 साल के ठेके पर बहाल होने वाले अग्निवीरों को एक वर्ष में क्या नियमित सैनिकों की तरह 90 दिनों की छुट्टियाँ मिलेंगी अथवा नहीं? सरकार स्पष्ट करें?
- अग्निपथ योजना अगर न्यायसंगत है तो इसमें ठेके पर अफसरों की भर्ती क्यों नहीं? संविदा पर केवल सैनिकों की ही भर्ती क्यों?
- सरकार बताएँ कि क्या यह योजना शिक्षित युवकों के लिए तैयार की गयी “मनरेगा” है अथवा संघ का कोई hidden agenda?
- केंद्र सरकार बताए कि 4 साल की देश सेवा के दौरान अर्जित अथवा उसके बाद जो एकमुश्त राशि मिलेगी, उस पर टैक्स भी लगेगा? अगर टैक्स कटेगा तो कटौती के बाद कितनी राशि बचेगी?
- अगर सरकार “अग्निवीरों” को सैनिक मानती है तो क्या उन सैनिकों को Gratuity देगी? क्या Gratuity बचाने के लिए ही इस सेवा की अवधि केवल 4 वर्ष की गयी है?
- क्या सरकार “अग्निवीरों” को कैंटीन और पूर्व सैनिकों को मिलने वाली चिकित्सा सहित अन्य सैनिक सुविधाएँ देगी?
- क्या यह योजना बनाने से पहले सरकार ने Defence experts, रक्षा विश्लेषकों, रक्षा विशेषज्ञों और अनुभवी सैन्य अधिकारियों से फ़ीड्बैक लिया? क्या उनकी राय पर अमल किया?
- क्या यह पहली ऐसी ‘सरकारी’ बहाली योजना नहीं है जिसमें महज 4 साल में बेरोजगार होने की 75% विशुद्ध गारंटी है?
- इस योजना में 18 वर्ष की उम्र में संविदा पर नौकरी पाकर 22 वर्ष की आयु में युवा रिटायर हो जाएँगे? क्या इससे उनकी उच्च शिक्षा प्रभावित नहीं होगी?
- विश्लेषकों का मत है कि शस्त्र प्रशिक्षण प्राप्त एक बड़ी आबादी के 22 वर्ष की अल्प आयु में Retire एवं फिर से बेरोजगार होने से क्या देश में विधि व्यवस्था संबंधित समस्या उत्पन्न नहीं होगी?
- One Rank-One Pension की बात करने वाली सरकार आख़िर No Rank- No Pension पर आकर क्यों रुक गई? क्या यह नहीं दर्शाता कि इस सरकार में Planning ही नहीं बल्कि दूरदर्शिता का भी घोर अभाव है?
- सेना में प्रतिवर्ष 50-60 हजार सैनिक Retire होते हैं। पिछले 3 सालों से डेढ़ लाख से अधिक सैनिक Retire हो चुके है और एक भी भर्ती नहीं निकाली गई। सरकार अब कह रही है कि कुछ हजार की बहाली करेंगे, वो भी 4 साल के ठेके पर। क्या यह युवाओं के साथ विश्वासघात नहीं है? रिक्त पदों पर सरकार कोई चर्चा क्यों नहीं करती?
- अगर देश के सबसे बड़े नियोक्ताओं “भारतीय रेलवे व भारतीय सेना” में भी नौकरियाँ ठेके पर दी जाने लगेंगी तो युवा क्या करेंगे? सरकारी कर्मियों की पेंशन बंद करने के बाद क्या बीजेपी सरकार अब स्थायी नौकरियों पर भी पूर्ण पाबंदी लगाएगी?
- अगर भाजपा को ठेकेदारी प्रथा इतनी ही पसंद है तो क्या सबसे पहले BJP के सभी मंत्री, सांसद, विधायक और पदाधिकारी अपने बच्चों को सरकारी नौकरियों से इस्तीफ़ा दिलायेंगे?
- एक तरफ़ सरकार लाखों बड़े पूँजीपतियों और चंदाजीवियों के लाखों करोड़ के लोन और corporate टैक्स माफ़ करती है और दूसरी तरफ सेना के बजट में कटौती करती है। विगत 8-9 साल में ही 11 लाख करोड़ से अधिक के लोन waive off किए है और दूसरी तरफ़ Cost cutting के नाम पर सेना में ठेकेदारी पर नौकरी दे रहे है। सेना भारत का सबसे गौरवशाली प्रतिष्ठान है। क्या सरकार को सेना के मामलों में ऐसे हस्तक्षेप करना चाहिए?
- सरकार बेरोजगारी की विकराल समस्या को अच्छे से address क्यों नहीं करती ? क्या सरकार को बेरोजगारी के मसले पर संवेदनशीलता से विचार नहीं करना चाहिए?
- भाजपा सरकार बताइए, क्या देश के 70% युवा नौकरी को लेकर इस वक्त तनाव में नहीं हैं?
- क्या बेरोजगारी से उत्पन्न हिंसा और अराजकता की दोषी सरकार नहीं है?
- 10 लाख से अधिक पद तो केंद्र सरकार के अधीन विभागों में रिक्त पड़े है। क्या 8 वर्षों में इन पदों को रिक्त रखने के दोषी युवा और विपक्ष है?
- क्या भाजपा सरकार ने युवाओं को 2 करोड़ नौकरी, 2022 तक 80 करोड़ रोज़गार, प्रत्येक के खाते में 15 लाख धन और उनके जीवन में अच्छे दिन लाने का लोक लुभावन आश्वासन नहीं दिया था?
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