तेजस्वी यादव, जिनकी पहचान अब पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव व राबड़ी देवी के बेटे तक सीमित नहीं है। तेजस्वी यादव उससे कहीं आगे निकल चुके हैं। अपनी पहचान बना चुके तेजस्वी के जीवन में संघर्ष का स्तर जैसा भी रहा हो, उनका पहला प्यार उन्हें नहीं मिला। जिस क्रिकेट के प्यार में पढ़ाई छोड़ दी, उस क्रिकेट में तेजस्वी यादव सफल नहीं हो पाए। लेकिन जैसे ही वे राजनीति में आए, पहले ही चुनाव में विधायक बने तेजस्वी सीधे उपमुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंच गए। आज तेजस्वी यादव का जन्मदिन है। वे 34 साल के हो गए हैं। आज तेजस्वी यादव के बारे में हम आपको सबकुछ बताएंगे। तेजस्वी यादव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के छोटे बेटे हैं। इनका जन्म नौ नवंबर 1989 को हुआ। तेजस्वी यादव के जन्म लेने तक लालू यादव मुख्यमंत्री तो नहीं बने थे लेकिन बड़े नेता जरुर बन गए थे।
तेजस्वी यादव को अपना कॅरियर चुनने की छूट थी और दूसरे बिहारी लड़कों की तरह तेजस्वी को भी क्रिकेट पसंद था। तेजस्वी का पहला प्यार क्रिकेट था और वे क्रिकेट में ही करियर बनाना चाहते थे। हुनर था तो तेजस्वी झारखंड की तरफ से एक रणजी मैच खेलने का मौका भी मिला। दिल्ली अंडर-19 टीम में तेजस्वी भारतीय कप्तान विराट कोहली के साथ थे। आईपीएल में भी उनका चयन हुआ था। 2008 में दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम ने उन्हें खरीदा था। लेकिन तेजस्वी आईपीएल के किसी मैच में प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं हो सके।
2010 में घूम गई तेजस्वी की कॅरियर की सुई
क्रिकेट के मैदान पर सिर्फ किटबैग उठाना शायद अब भारी लग रहा होगा। वो साल 2010 था, जब तेजस्वी यादव ने अपना कॅरियर ट्रैक चेंज कर दिया। या यूं कहें कि अपने पहले प्यार क्रिकेट को कॅरियर के रूप में अलविदा कह दिया। बिहार में विधानसभा का चुनाव था और कई चुनावों के बाद लालू यादव ने खुद को सीएम उम्मीदवार के रूप में पेश किया। टक्कर नीतीश कुमार की जदयू और भाजपा से थी। पांच साल के एनडीए शासन के बाद पहला चुनाव था, जिसमें लालू यादव सत्ता में वापसी की कोशिश कर रहे थे। तब लालू के साथ तेजस्वी यादव भी राजनीतिक सभाओं में दिखने लगे। एक के बाद एक उस चुनाव में तेजस्वी यादव ने 80 से अधिक सभाएं की थीं। लेकिन लालू यादव की पार्टी उस चुनाव में फिर फिसल गई। तेजस्वी की उम्र कम थी तो उन्होंने चुनाव लड़ा नहीं था लेकिन राजद की बुरी हार के कारण तेजस्वी यादव की राजनीतिक कॅरियर बनाने की चाह भी थमती दिखी।
2013 के बाद बदले हालात
लालू परिवार के लिए 2013 का साल कई मायनों में खास है। इसी साल लालू यादव को सजा मिलने के बाद वे चुनावी राजनीति से बाहर हो गए। लेकिन एक बदलाव यह भी हुआ कि नीतीश कुमार ने भाजपा से 17 साल पुराना अपना गठबंधन भी 2013 में ही तोड़ दिया। तुरंत तो लालू-नीतीश साथ नहीं आए। लेकिन भाजपा का साथ छूटना ही वजह बना कि लालू-नीतीश 2015 में एक साथ आए। तब तक तेजस्वी उस उम्र में पहुंच गए कि चुनाव लड़ सकें। तेजस्वी चुनाव लड़े भी, जीते भी और बन गए राज्य के सबसे युवा उपमुख्यमंत्री।
2019 में झटका खा, 2022 में दे दिया डबल झटका
2015 के विधानसभा चुनाव के तेजस्वी यादव की राजनीतिक कॅरियर की गाड़ी चल निकली। लेकिन 2017 में फिर वे सत्ता से हट गए। लेकिन तब तक तेजस्वी यादव ने लालू यादव की विरासत को इतना संभाल लिया था कि लालू समर्थकों ने उन्हें अपना अगला नेता मान लिया। 2019 में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद को बड़ा झटका तब लगा जब पार्टी कोई लोकसभा सीट नहीं जीत सकी। इसके बाद 2020 में भी तेजस्वी यादव का गठबंधन सरकार बनाते बनाते रह गया। लेकिन 2022 में तेजस्वी ने भाजपा को डबल झटका दिया और सत्ता में नीतीश कुमार के साथ वापसी कर ली।
तेजस्वी भावी मुख्यमंत्री?
तेजस्वी यादव का राजनीतिक भविष्य क्या होगा, ये तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन मौजूदा सीएम नीतीश कुमार तो तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर चुके हैं। अब देखते हैं आगे तेजस्वी यादव किस मुकाम तक पहुंचते हैं।