लोकसभा की चुनावी जंग के लिए दो तरफ छावनियाँ बन कर तैयार हो गई हैं। एक तरफ भाजपा की अगुवाई वाली NDA है, वही दूसरी तरफ विपक्षी दलों का गठबंधन I.N.D.I.A है। NDA के नेता पहले व्यंग कसते हुए कहते थे कि विपक्षी एकता एक तराजू पर मेढ़क तौलने जैसा है। लेकिन अब जब विपक्षी दलों के गठबंधन का नाम तक तय हो गया है, तो NDA ने नए तरीके से हमला बोलना शुरू किया है। NDA के नेता I.N.D.I.A सीट बटवारें को लेकर सवाल खड़ा कर रहा है। लेकिन इनसब के बीच NDA में सीट बंटवारे को लेकर घमासान मचा हुआ है। पहला पेंच तो बिहार में ही अटका है। जहां NDA के पुराने साथी पशुपति पारस और NDA के नये नवेले साथी चिराग पासवान के बीच हाजीपुर सीट को लेकर तलवार खींची हुई दिख रही है।
हाजीपुर में असली जंग
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस और लोक जन्सक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के बीच की कड़वाहट जगजाहिर है। लेकिन अब दोनों ही NDA का हिस्सा हैं। ऐसे में दोनों के बीच सीटों का बटवारा के मुश्किल काम है। ये मुश्किल दिन प्रतिदिन और बढ़ती ही जा रही है क्योंकि हाजीपुर लोकसभा सीट के लिए दोनों ही अपना दावा ठोंक रहे हैं। चूंकि इस सीट से दिवंगत नेता रामविलास पासवान कई बार संसद पहुंचे। लेकिन उनके बाद ये सीट उनके भाई पशुपति पारस के हिस्से आई। रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान खुद को इस सीट का योग्य उतराधिकारी मानते हैं। लेकिन चाचा पारस भी पाने पाँव पीछे नहीं खींचना चाहते हैं। यही कारण है कि दोनों के बीच में ठनी हुई है।
पशुपति पारस का दावा
वर्त्तमान में हाजीपुर से सांसद पशुपति पारस का इस सीट को लेकर अलग ही दावा है। उनका कहना है कि वो तो राजनीति में आना भी नहीं चाहते थेलेकिन अपने बड़े भाई रामविलास पासवान के कहने पर ही चुनाव लड़े और कई बार विधायक बने। 2019 उनके कहने पर ही मैंने बिहार के मंत्री पद को छोड़ कर हाजीपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा। पशुपति पारस जो बताते हैं उसके अनुसार रामविलास पासवान के खुद उन्हें हाजीपुर से लड़ने के लिए कहा था।
जिसके बाद पारस ने माना करते हुए परिवार के किसी अन्य सदस्य को लड़ाने की बात कही थी। लेकिन रामविलास पासवान नहीं माने। पारस तो यहां तक दावा करते हैं कि उन्होंने चिराग को हाजीपुर से लड़ाने के लिए रामविलास पासवान से कहा था लेकिन उन्होंने माना कर दिया। पारस का कहना है कि बड़े भाई ने उन्हें अपनी ये सीट सौंपी है इसलिए वो इसके सही दावेदार है।
पिता की कर्मभूमि पर अधिकार चाहते हैं चिराग
एक ओर पशुपति पारस के दावे हैं वही चिराग पासवान भी अपने पिता रामविलास पासवान की कर्मभूमि पर अधिकार चाहते हैं। चिराग का कहां है कि हाजीपुर उनके पिता की कर्मभूमि है इसलिए उनकी पार्टी इस सीट कर चुनाव जरूर लड़ेगी। हालांकि इस सीट से वो खुद लड़ेंगे या कोई ओर इसपर अभी कुछ भी खुल कर नहीं बोला है।
लेकिन कुछ दिनों पहले के अखबार को दिए इंटरव्यू में चिराग ने बताया था कि “मैं चाहूंगा कि मेरी मां हाजीपुर से चुनाव लड़ें। 2019 के लोकसभा चुनाव में हाजीपुर से चुनाव लड़ने के लिए वह मेरे पिता की पहली पसंद थीं। लेकिन उसने फिर मना कर दिया। एक बात जो बिल्कुल तय है कि जिस निर्वाचन क्षेत्र में मेरे पिता ने वर्षों तक काम किया उस हाजीपुर से एलजेपी (रामविलास) चुनाव लड़ेगी। मैं अपनी मां को अगले साल वहां से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए मनाने की कोशिश करूंगा। हम हाजीपुर को जाने नहीं दे सकते।”