UNESCO 2022 भारत के वर्ल्ड हेरिटेज साईट में 40 हेरिटेज साईट के नाम शमिल है जो कल्चरल, मिक्स और नैचुरल साईट में बटां है। बता दें कि इस साईट में धोलावीरा (गुजरात) और रामप्पा टेम्पल (तेलंगाना) का नाम शामिल होने के बाद कुल 40 साईट हो गए है। खास बात तो यह है कि भारत के वर्ल्ड हेरिटेज साईट में बिहार के दो सांस्कृतिक थालों के नाम है- नालंदा विश्विद्यालय और महाबोधि टेम्पल। इस लिस्ट में महाराष्ट्र में सबसे अधिक हेरिटेज साईट है। जिसमें अजंता केव, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, एलीफेंटा केव, एलोरा केव, विक्टोरियन गॉथिक एंड आर्ट डेको शामिल है। वही झारखंड से जुड़ा साईट इस लिस्ट में शामिल नहीं है। इसके अलावा भी अन्य राज्य है जिसका नाम इस सूची में शामिल नहीं है।
बिहार के दो स्थल
बात करे बिहार के साईट की तो बोध गया में स्थित महा बोधि टेम्पल को वर्ष 2002 में ही UNESCO के विश्व विरासत स्थल की सूची में नाम शामिल हो गया है। साथ ही इसके वर्ष 2016 में नालंदा विश्विद्यालय का भी नाम शामिल हो गया था।
बिहार के टॉप हेरिटेज साईट :-
महाबोधि टेम्पल, बोध गया
बोध गया बिहार की राजधानी पटना से महज 96 किलोमीटर दूर है। महाबोधि विहार को UNESCO ने साल 2002 में विश्वा धरोहर की घोषणा की थी। बता दें कि महाबोधि मंदिर उसी जगह पर स्थित है जहां 6वी शताब्दी में गौतम बुद्ध ने महाबोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति की थी। महाबोधि मंदिर अशोक के राज में लगभग 250bc पूर्व में स्थापित किया गया था। इस टेम्पल की ऊंचाई लगभग 164 फीट है। वर्ष 2013 में थाईलैंड के राजा और श्रद्धालुओं ने 289 किलो गोल्ड गिफ्ट किया था जिसे मंदिन के ऊपर लगाया गया था।
नालंदा विश्वविद्यालय, राजगीर
नालंदा विश्वविद्यालय पटना से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर है। नालंदा विश्वविद्यालय विश्व का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है, और साथ ही विश्व का पहला आवासीय युनिवर्सिटी भी है। इसकी स्थापना पांचवी शताब्दी में गुप्त काल के दौरान हुई थी। बताया जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय को सन् 1193 में बख्तियार खिलजी द्वारा जला कर नष्ट कर दिया गया था। नालंदा विश्वविद्यालय का परिसर केवल दीवारों से घिरा हुआ था।