उपेंद्र कुशवाहा का नाम बिहार के उन नेताओं में आता है, जिन्हें एक गठबंधन से ही जोड़कर नहीं रखा जा सकता। पूरे राजनीतिक कॅरियर में उलटने पुलटने का उनका इतिहास पुराना है। नीतीश से नाराज होकर पार्टी बनाने वाले उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी का विलय जदयू में ही किया। अब नया विवाद उनके मंत्री बनने को लेकर था। उपेंद्र कुशवाहा ने ऐलान किया है कि उन्हें मंत्री बनना भी नहीं था और भविष्य में ऐसी कोई चाहत भी नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि उपेंद्र कुशवाहा आखिर चाहते क्या हैं?
नाराजगी के बाद पहली प्रतिक्रिया
दरअसल, नीतीश कुमार के गठबंधन पलटने से पहले उपेंद्र कुशवाहा की सक्रियता लगातार बढ़ी हुई थी। भाजपा के नेताओं पर खुलेआम वार करने का टेंडर उन्होंने अपने नाम रख लिया था। हम मुद्दे पर भाजपा की अच्छी खिंचाई करते उपेंद्र कुशवाहा लगातार कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग करते रहे। और इसी मांग के बीच भाजपा-जदयू के अलगाव की पूरी स्क्रिप्ट फाइनल कर दी। नई सरकार बनी तो उनके मंत्री बनने की चर्चा उठी। चूंकि वे विधान परिषद के सदस्य हैं तो यह चर्चा स्वाभाविक भी लगी। लेकिन मंत्री बने नहीं तो नाराज हो गए। अब नाराजगी के बाद उन्होंने पहली प्रतिक्रिया दी है।
क्या है अभी उपेंद्र का रोल
जदयू में उपेंद्र कुशवाहा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष बनाए गए हैं। रालोसपा के विलय के बाद उनके सेटलमेंट के लिए ही यह नया पद बनाया गया। लेकिन इस रोल में उनके लिए कोई विशेष गुंजाइश नहीं बन रही थी। जब तक भाजपा से बाहर निकलने का अभियान चल रहा था, उपेंद्र की पूछ थी, अब अचानक सन्नाटा हो गया है। चर्चा निकली कि उपेंद्र कुशवाहा नाराज भी हो गए हैं। लेकिन अब उन्होंने इसे कोरी अफवाह बताया है।
मिशन 2024 ही उनका एजेंडा
2024 में नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताते हुए जदयू नेताओं ने बैटिंग शुरू कर दी है। ललन सिंह ने तो विपक्षी दलों को न्योता दिया है कि वे बातचीत नीतीश का नाम आगे करें। तो उपेंद्र कुशवाहा कह रहे हैं #Mission_2024 …….बस और कुछ नहीं।