पिछले तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश ने बिहार के बगहा इलाके में बाढ़ की विनाशकारी स्थिति पैदा कर दी है। पहाड़ी नदियां उफान पर हैं, गांवों को जोड़ने वाले रास्ते टूट गए हैं और कई गांव टापू बन चुके हैं।
स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है वाल्मीकिनगर स्थित गंडक बराज से डेढ़ लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जाना। इस वजह से दोन इलाके में पानी का तेज बहाव देखने को मिला है। पांच छप्पर (छोटे पुल) टूट कर बह गए हैं। कई घरों को भी बारिश के पानी ने नुकसान पहुंचाया है।
बगहा के हालात बदतर हैं। बाढ़ का पानी बगहा 1 और बगहा 2 के कई गांवों में घुस गया है। जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। भपसा, मनोर और मसान नदियों में उफान के चलते दोन के कमर्चिनवा, नौरंगिया, पिपराहवा और गोबरहिया इलाकों में रहने वाले लोगों की परेशानी दोगुनी हो गई है। इन इलाकों में पानी का इतना तेज बहाव था कि वहां बने पांच छप्पर टूट कर बह गए।
मनोर और भपसा नदी के उफान का असर चंपापुर-गोनौली पंचायत के गांवों पर भी पड़ा है। मलकौली, पिपरा, गोडार, सखुअनवा और धुमवाटांड जैसे गांव बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं। दो तरफ नदियां और एक तरफ जंगल होने की वजह से ये गांव टापू बन गए हैं। खासकर स्कूली बच्चों को विद्यालय जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बाढ़ की इस विकट परिस्थिति में राहत की खबर ये है कि अब तक किसी भी व्यक्ति के घायल होने की सूचना नहीं है। हालांकि, सिकता में स्कूल से लौट रहीं दो छात्राओं के पानी भरे गड्ढे में डूब जाने से उनकी मौत हो गई। एक अन्य छात्रा को बचा लिया गया है। गौनाहा थाना क्षेत्र के महुआ भूसा गांव का दिलशाद शेख (22) बहड़बोड़ा नदी पार करते समय पानी में बह गया। उसकी तलाश जारी है।
राज्य सरकार ने बाढ़ चेतावनी जारी कर दी है और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य जारी है।