देश में शिक्षा के समग्र विकास को लेकर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने समेत कई बिंदुओं पर अभिनव प्रयोग किए जा रहे हैं। ताकि देश के होनहार बच्चे स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ उठाकर अपना भविष्य संवार सकें। लेकिन झारखंड के अति उग्रवाद प्रभावित चतरा जिले के अधिकांश सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में यहां बच्चे अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित व मायूस है।
हम बात कर रहे हैं जिले के वैसे सरकारी स्कूलों की जहां शिक्षकों की नितांत कमी से बच्चों का पठन-पाठन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। जिससे बच्चे खुद अपनी नजरों से अपना भविष्य अंधकारमय होते देख रहे हैं। इनमें से एक है चतरा जिले का अति नक्सल प्रभावित कुंदा प्रखंड के नावाडीह गांव में स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय नावाडीह। जहां ये वाकया प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलता है। इस विद्यालय में केंद्र और राज्य सरकार के सभी दावे दम तोड़ती नजर आती है।
बच्चों का भविष्य भगवान भरोसे
चतरा जिले के अधिकांश सरकारी प्राथमिक तथा माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के कमी के बीच बच्चों को तालीम दी जा रही है। ऐसे में विद्यालय का एक भी शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्यों अथवा ऑफिशियल वर्क में लग जाए तो फिर बच्चों का भविष्य भगवान भरोसे ही रह जाता है। यानी कि स्कूलों में मौजूद बच्चों की पढ़ाई सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे दी जा रही है। जिससे बच्चों का पठन-पाठन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। अपने भविष्य बनाने की ललक लेकर स्कूल पहुंचने वाले इन बच्चों का भविष्य टीचर के अभाव में तबाह हो रहा है। कई विद्यालयों में तो स्थिति यह भी है कि यहां पढ़ने वाले छात्रों को ही कक्षाएं लेते अमूमन देखा जा सकता है।
कोरोना काल में बीते वर्ष का सत्र बिना पढ़ाई के ही बीत गया
कोरोना काल में बीते वर्ष का सत्र बिना पढ़ाई के ही पूरा बीत गया और सभी छात्र अगले कक्षा में पहुंच गए। जिसके बाद अब नए सत्र में पढ़ाई पर पूरा जोर दिया जा रहा है। लेकिन शिक्षकों की कमी इसमें प्रमुख रूप से बाधक बनी हुई है। इस हालात में सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा में आ रही कमी का असर बच्चों के भविष्य पर पड़ता देख उनके अभिभावक भी काफी चिंतित नजर आ रहे है।
2 शिक्षकों के भरोसे कुल 230 बच्चों
दूसरी तरफ विद्यालय के एक शिक्षक राजेश मुंडा इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बताते हैं कि मात्र 2 शिक्षकों के भरोसे इस स्कूल में पढ़ने वाले कुल 230 बच्चों को दी जाने वाली बेहतर शिक्षा की उम्मीद बेईमानी है। अतः शिक्षा विभाग को इस ओर अविलंब ध्यान देने की सख्त जरूरत है।
नियुक्ति न किए जाने के कारण उत्पन्न हुए ऐसे हालात
प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के घोर अभाव के कारण बच्चों की पिछड़ रही पढ़ाई के मुद्दे पर चतरा के जिला शिक्षा अधीक्षक जितेंद्र सिन्हा इत्तेफाक रखते हैं और बताते हैं कि सरकार द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति न किए जाने के कारण ऐसे हालात उत्पन्न हुए हैं। कहा कि मौजूदा हालात में जिले में मौजूद शिक्षकों में से कुछ शिक्षकों का समायोजन वैसे स्कूलों में किए जाएंगे ताकि बच्चों का पठन-पाठन बाधित न हो।
बच्चों के साथ अभिभावकों के लिए चिंता का विषय
बहरहाल सरकार सरकारी स्कूलों के बच्चों का भविष्य गढ़ने की दिशा में निजी विद्यालयों तथा कान्वेंट स्कूलों की तर्ज पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने के लिए जद्दोजहद कर रही है, ताकि बच्चे अच्छी तालीम पाकर अपना जीवन संवार सके। लेकिन वर्तमान परिपेक्ष्य में सरकारी स्कूलों की यह हालत वाकई बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावकों के लिए एक चिंता का विषय है और ऐसी परिस्थितियों में शिक्षा विभाग को अपनी तत्परता दिखाते हुए शिक्षकों की कमी के कारण पिछड़ रही बच्चों की पढ़ाई को संवारने की दिशा में अविलंब अपना रुख अख्तियार करने की भी आवश्यकता है।