धनबाद के न्यायाधीश उत्तम आनंद हत्याकांड में धनबाद सीबीआई की विशेष अदालत ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया। मामले के दोनों नामजद आरोपित लखन वर्मा एवं राहुल वर्मा को कोर्ट ने दोषी करार दिया। मामले में छह अगस्त को अदालत दोनों मुजरिमों को सजा सुनाएगी। वहीं बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने हाई कोर्ट जाने की बात कही है। कोर्ट में अपना फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश रजनीकांत पाठक की अदालत ने कहा कि हर हत्याकांड में कोई मोटिव या इंटेशन हो, यह जरूरी नहीं। उन्होंने कहा कि यदि अभियुक्त यह जानता है कि उसके कार्य से किसी की मौत हो सकती है तो फिर इटेंशन की जरूरत नहीं है।
गवाहों ने ऑटो को जज को धक्का मारते देखा था
न्यायाधीश ने कहा कि यह स्पष्ट है कि ऑटो से टक्कर मारी गई और उत्तम आनंद की मौत हुई। कहा कि रणधीर वर्मा चौक के सीसीटीवी फुटेज से यह स्पष्ट होता है और मैं पाता हूं कि ऑटो रिक्शा के सामने की सीट पर दो लोग बैठे थे। जज उत्तम आनंद को टक्कर मारने से पहले वह दो बार जजेस कॉलोनी की ओर दो बार गए थे। तीसरी बार पांच बजकर आठ मिनट 22 सेकंड पर ऑटो काफी तेजी से आता है, जिससे उत्तम आनंद को टक्कर लगी और उनकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि धक्का लगने की वजह से जब साहब के सिर में गंभीर चोट लगी थी, जो मृत्यु के लिए पर्याप्त थी। सभी डॉक्टरों के बयान और फॉरेंसिक रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि हुई है। तीन चश्मदीद गवाहों ने ऑटो को जज को धक्का मारते देखा था।
अभियुक्तों ने अदालत को मिस लीड करने का प्रयास किया
न्यायाधीश रजनीकांत पाठक ने कहा कि इस पर विवाद नहीं है कि ऑटो लखन चला रहा था। राहुल उसके बगल मे बैठा था। उन्होंने कहा कि अभियुक्तों ने अदालत को मिस लीड करने का प्रयास किया। सीबीआइ को भी मिस लीड किया। अपना बयान बदलते रहे। कोर्ट मे दोनों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाया। लखन ने अपने बयान में इस घटना को केवल एक दुर्घटना बताया। कहा कि गाड़ी के नीचे कुछ आ गया था और गाड़ी घूम गई थी, लेकिन साक्ष्यों से ऐसा नहीं लगता कि गाड़ी के नीचे कुछ आया था और गाड़ी एकाएक घूमी।
अभियुक्तों ने दावा किया कि वह लोग नशे में थे, लेकिन विज्ञानियों ने परीक्षण के बाद कहा कि वह नशे में नहीं थे। अदालत ने कहा कि यह साबित होता है कि दोनों ने जानबूझकर जज उत्तम आनंद की हत्या की। मामले में आइपीसी की धारा 302, 201 और 34 के तहत कोर्ट ने दोनों को दोषी करार देते हुए सजा के बिंदु पर सुनवाई की तारीख 6 अगस्त की निर्धारित की।
दोनों ने देश की न्यायपालिका पर हमला किया है
इधर, सीबीआइ के विशेष अभियोजक अमित जिंदल ने कोर्ट के फैसले के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सजा के बिंदु पर सुनवाई के दिन वह अदालत से दोनों मुजरिमों को फांसी की सजा देने की मांग करेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों ने देश की न्यायपालिका पर हमला किया है। जबकि बचाव पक्ष के वकील ने फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात कही है।