बिहार के भोजपुर में 29 साल से कैद भगवान थाना से रिहा हो गए। करीब तीन दशक तक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जब भगवान मुक्त हुए तो सबकी आखें नम हो गई। थाना परिसर जय श्री राम के जयकारे से भक्तिमय हो गया। भव्य रथ से भगवान को मंदिर तक पहुंचाया गया। इस दौरान पुलिस की गाड़ी पीछे-पीछे चली। भोजपुर जिले के कृष्णागढ़ थाने के मालखाने में अष्ट धातु की हनुमान जी और रामानुज स्वामी की कीमती मूर्ति को रखा गया था। जमानतदार की तलाश थी, जिसके कारण उनकी रिहाई नहीं हो रही थी। बरसों चले मुकदमे के बाद आखिर वो दिन आ ही गया, जब उनकी थाने से रिहाई हुई। गाजे-बाजे के साथ भगवान को पुलिसकर्मियों ने विदा किया।
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1994 में चोरी हुई थी भगवान की मूर्ति
दरअसल बड़हरा के कृष्णगढ़ थाना में रंगनाथ मंदिर से साल 1994 में चोरी किये गए भगवान हनुमान और रामानुज स्वामी की अष्टधातु की मूर्तियां बरामद होने के बाद से कृष्णगढ़ थाने के मालखाने में रखी थी। दोनों मूर्तियों को चोरी के बाद पुलिस ने आरा शहर के नगर थाना के सिंगही गांव के एक बागीचे में मौजूद कुएं से बरामद किया था। बरामदगी के बाद दोनों मूर्तियों का मूल्यांकन 42 लाख रुपये किया गया था। तब कोर्ट की ओर से मूर्ति की जमानत के लिए उतने रुपये का ही जमानतदार मांगा जा रहा था, लेकिन जमानतदार ना मिलने की वजह से दोनों मूर्तियां 29 सालों से कृष्णगढ़ थाने के मालखाने में बंद थी।
भगवान की मूर्तियों को गाजे-बाजे के साथ लाया गया
काफी प्रयास के बाद पुलिस द्वारा मूर्ति की सुरक्षा की गारंटी देने के बाद इसे रिलीज कराने की बात आई, लेकिन इस पर प्रशासन तैयार नही हुआ। जिसके बाद से ही ये दोनों मूर्तियां मालखाने में बंद थी। तकरीबन 11 महीने पहले महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल को दोनों मूर्तियों के बारे में जानकारी हुई। इसके बाद उन्होंने भोजपुर पुलिस से संपर्क साधा और फिर वो कृष्णगढ़ के पूर्वी गुंडी स्थित रंगनाथ मंदिर गए और पुजारी से मिलकर मूर्तियों के बारे में जानकारी। उन्होंने कोर्ट में दोनों मूर्तियों के जमानत के पैसे देकर वापस रंगनाथ मंदिर में स्थापित करने का आवेदन दिया। आरा कोर्ट के एडीजे 3 ने दोनों मूर्तियों को रिलीज करने का ऑर्डर सोमवार को दिया।