इंडो नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकिनगर गण्डक बराज से नदी में रविवार की शाम 1 लाख 66 हज़ार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। जिससे नदी का जलस्तर तेज़ी से बढ़ने लगा। नदी के जलस्तर में उतार चढ़ाव के बाद लोग सहम गए हैं। लिहाजा डीएम ख़ुद इसकी मोनिटरिंग करने गए। बढ़ते जलस्तर को देखते हुए जिलाधिकारी दिनेश कुमार रॉय देर रात बगहा पहुंचे और शास्त्रीनगर, पारसनगर, आनंदनगर के गंडक किनारों का DM ने किया निरीक्षण।
इधर कटाव के डर से नदी किनारे बसे लोग भयभीत हो गए हैं। नेपाल के तराई क्षेत्र में हो रही वर्षा के बाद गण्डक नदी के जलस्तर में अचानक वृद्धि हो रही है। गंडक बराज नियंत्रण कक्ष द्वारा रविवार की शाम गंडक नदी के डाउन स्ट्रीम में इस मॉनसून सत्र का सर्वाधिक पानी छोड़ा गया था । आंकड़ों के मुताबिक 1 लाख 66 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद अभियंताओं को अलर्ट कर दिया गया है। जल संसाधन विभाग के अभियंता बांधों की सतत निगरानी में जुटे हुए हैं। हालांकि जलस्तर में वृद्धि की सूचना मिलते हीं रात्रि 10 बजे के करीब डीएम दिनेश कुमार रॉय बगहा पहुंचे और अभियंताओं की टीम के साथ गंडक नदी किनारे कटाव स्थलों का जायजा लिया। संभावना जताई जा रही है की गंडक नदी में दो से ढाई लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा सकता है। जिसके बाद दियरा के निचले इलाकों में नदी का पानी तेज़ी से फैलने लगेगा।
बता दें कि इस मानसून सत्र में अब तक का सार्वधिक डिस्चार्ज 1.66 लाख है जो कि अभी घटकर 1.16 लाख तक आ गया है जिसके बाद बाढ़ की आशंका को लेकर प्रशासन भी अलर्ट मोड में है तो वहीं जल संसाधन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की बेचैनी बढ़ गई है। डीएम ने बताया की जैसे हीं उन्हें जलस्तर बढ़ने की सूचना मिली तो उन्होंने मौके पर पहुंच कर अभियंताओं के साथ निरीक्षण किया और मामले की जानकारी ली। डीएम ने आगे बताया की बढ़ते हुए जलस्तर से कटाव की संभावना कम है। जब वाटर लेवल कम होता है तब कटाव की स्थिति उत्पन्न होती है लिहाजा सभी कटावस्थल वाले प्वाइंट्स पर सतत निगरानी की जा रही है। इधर बगहा में गंडक नदी किनारे बसे ग्रामीणों की बेचैनी भी बढ़ गई है।
ग्रामीण कटाव की आशंका से भयभीत हैं। ग्रामीणों का कहना है की यदि गंडक नदी कटाव करती है तो उनके सामने नया आशियाना बनाने के लिए जमीन और घर बनाने का खर्च जुटा पाना संभव नहीं है। नदी किनारे बसे ग्रामीणों का कहना है की उनके पास धुर भर जमीन भी नहीं की यहां से जाकर वे अपना नया बसेरा बना पाएं। ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि गण्डक नदी का जलस्तर औऱ बढ़ता है तो बाढ़ आएगी और अगर जलस्तर घटा तो कटाव की विनाशलीला झेलनी पड़ेगी ।