[Team insider] कोल्हान के इकलौते सबसे बड़े सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल एमजीएम अस्पताल को लेकर तमाम दावे किए जाते हैं। करोड़ों रुपए का सालाना बजट सिर्फ इस अस्पताल के रखरखाव के लिए पारित होते हैं। मगर इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर अस्पताल के रखरखाव की जो व्यवस्था है, वह सरकार की नाकामियों को उजागर करने के लिए काफी है। झारखंड अलग राज्य बने 22 साल बीत चुके हैं, 3- 3 मुख्यमंत्री, आधा दर्जन से अधिक मंत्री कोल्हान की धरती ने राज्य को दिए, मगर एमजीएम अस्पताल की दशा जस की तस बनी हुई है।
जमशेदपुर से ही आते हैं राज्य के स्वास्थ्य मंत्री
वर्तमान में तो राज्य के स्वास्थ्य मंत्री भी जमशेदपुर से ही आते हैं फिर भी इस अस्पताल की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। वैसे स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद बन्ना गुप्ता ने दावे एक से बढ़कर एक किए हैं मगर 2 साल बीतने के बाद भी धरातल पर कुछ खास नजर नहीं आता।
मशीनों के कलपुर्जों में या तो जंग लग गया या वे नाकाम हो गए
यहां हम बात कर रहे हैं अस्पताल में बने अत्याधुनिक ऑपरेशन थिएटर की। ढाई साल पूर्व करीब दो करोड़ की लागत से बने इस मॉडल ओटी का हाल बेहाल है। ओटी बना जरूर मगर यह हाथी दांत बनकर रह गया। आलम ये है कि मॉडल ओटी के सारे मशीनों के कलपुर्जों में या तो जंग लग गया या वे नाकाम हो गए। अस्पताल के नुमाइंदों ने इसे रेस्ट रूम बना डाला काफी दिनों तक यहां अस्पताल कर्मी आराम फरमाते थे। हालांकि अब यहां मरीजों को रखा जा रहा है।
एमजीएम प्रभारी देते हैं रटा- रटाया जवाब
इस संबंध में जब हमने एमजीएम प्रभारी राजेश बहादुर से जानना चाहा तो उन्होंने रटा- रटाया जवाब देते हुए कहा कि मैन पावर की कमी होने के कारण इसका संचालन नहीं किया जा रहा है। अस्पताल के अधीक्षक से इसे पुनः चालू कराने को कहा गया है। स्वास्थ्य मंत्री के संज्ञान में मामला दे दिया गया है। जल्द ही इसे चालू कराया जाएगा। अब वह दिन कब आएगा इसका हमें भी इंतजार रहेगा।