[Team Insider] बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा पिछले 26 महीनों से नहीं दिए जाने पर भाजपा आक्रामक है सदन की कार्रवाई के दूसरे दिन मंगलवार को इसको लेकर कार्यवाही शुरू होने से पहले ही जहां भाजपा विधायकों ने विधानसभा परिसर में धरना देकर विरोध जाहिर किया तो वही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का सांसद दीपक प्रकाश ने साफ तौर पर हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चल रही गठबंधन सरकार पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया है।
हेमंत सरकार में लोकतंत्र की हत्या हो रही है: दीपक प्रकाश
दीपक प्रकाश ने कहा कि हेमंत सरकार में लोकतंत्र की हत्या हो रही है। लोकतांत्रिक संस्थाओं को ध्वस्त करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। दुर्भाग्य इस बात का है कि लोकतंत्र के मंदिर के रखवाले विधानसभा के सम्मानित अध्यक्ष से उम्मीद थी कि न्याय मिलेगा। लेकिन दुर्भाग्य है कि 26 महीने बीतने के बाद भी अध्यक्ष ने आज तक निर्णय नहीं लिया। इससे साफ जाहिर हो गया है। सरकार और विधानसभा अध्यक्ष के मन में लोकतंत्र के प्रति अच्छा नहीं चल रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता के नहीं रहने के कारण कई लोकतांत्रिक संवैधानिक संस्था का गठन नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार को लोकतंत्र से मतलब नहीं है।
सरकार का जवाब गोल मटोल: सीपी सिंह
वहीं सदन सरकार के जवाब को लेकर स्थानीय विधायक सीपी सिंह ने कहा कि सरकार का जवाब गोल मटोल है। नेता प्रतिपक्ष को लेकर सरकार का मामला नहीं बनता है या स्पीकर का बनता है। उन्होंने स्पीकर से कहा कि जेवीएम के 3 सदस्यों के लिए समय आवंटित किया गया है। पिछले लोकसभा चुनाव में बाबूलाल मरांडी को भारतीय जनता पार्टी का दिखाकर वोट देने का अधिकार दिया गया। उसके बाद प्रदीप यादव कांग्रेस के उपनेता बने है। ऐसे में उन्होंने जेवीएम और कांग्रेस में उपनेता रहने पर सवाल उठाया है कि एक व्यक्ति दो दलों में नहीं ही सकते है। अगर वह स्पीकर रहते तो अपने अधिकार का विवेक का कानूनी सलाह लेकर इस मामले का हल एक महीना के अंदर कर देते। 26 महीना नहीं लगता। उन्होंने कहा कि नियत ठीक होना चाहिए। एक स्पीकर को ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर पर चलना चाहिए।
प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिलने से पीड़ित नहीं है: बाबूलाल मरांडी
वहीं भाजपा के विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिलने से वह पीड़ित नहीं है बल्कि वैसे लोग डरे सहमे हुए हैं। जिन्हें लगता है कि अगर वह नेता प्रतिपक्ष बन गए। तो उनका तंबू उखड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि वह उनका तंबू तो उखाड़ ही देंगे।
वहीं स्थानीय नीति को लेकर उन्होंने कहा कि जब भारतीय जनता पार्टी की पहली सरकार बनी। तब मेरे मुख्यमंत्री कार्यकाल में सर्वदलीय मीटिंग करके बिहार के नियमावली को अंगीकार किया गया। उसी आधार पर 2015 तक नियुक्त होती रही। उसके बाद 2014 में रघुवर दास के नेतृत्व में थोड़ा मॉडिफाई करके 1985 को आधार बनाया गया।
सीएम से कोई उम्मीद यहां की जनता नहीं रख रही है
उन्होंने कहा कि जब हेमंत सोरेन अर्जुन मुंडा के साथ डिप्टी सीएम थे। तब स्थानीय नीति को लेकर समर्थन वापस ले लिया था और अब तो हेमंत सोरेन के राज्य के मुख्यमंत्री बने हुए 2 साल से भी अधिक समय हो गया है। अब वह कह रहे हैं कि अध्ययन करा रहे। 20 साल से हेमंत सोरेन और जेएमएम के लोग क्या कर रहे थे। उनको खुद समझ में कुछ नहीं आती है। अध्ययन कराने में कितना समय लगेगा। यह भी वह नहीं बता पाए इसलिए उनसे कोई उम्मीद यहां की जनता नहीं रख रही है।