[Team insider] भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर प्रोत्साहन राशि लेने के आरोप मामले की हाईकोर्ट के सीटिंग जज या किसी केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने की मांग की है। साथ ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से प्रतुल ने मांग की है कि वे बन्ना गुप्ता को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करें। शाहदेव ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने खुद और अपने लोगों को प्रोत्साहन राशि दिलवाकर हिंदी की डिक्शनरी में एक नया शब्द ‘बन्नाबांट’ जुड़वाया है।
उन्होंने कहा कि इस सरकार की जो कार्यशैली है वह पहले किसी सरकार में देखने को नही मिली। खान मंत्री अर्थार्त मुख्यमंत्री अपने नाम से खनन पट्टा ले लेते हैं और स्वास्थ्य मंत्री अपने नाम पर प्रोत्साहन राशि। उन्होंने कहा कि बड़े बड़े घोटाले को अंजाम देने वाले अब छोटे-छोटे लोगो के हिस्सा पर भी सेंधमारी कर रहे है।
सब कुछ स्वास्थ मंत्री के निर्देश पर हुआ
प्रतुल शाहदेव ने कहा कि प्रोत्साहन राशि लेने वालों में स्वास्थ मंत्री के साथ-साथ पहला नाम स्वास्थ्य विभाग के सचिव अरूण कुमार सिंह का है। शाहदेव ने कहा कि संयुक्त सचिव, अवर सचिव, उप सचिव सबका नाम प्रोत्साहन राशि पाने वालों की लिस्ट में जोड़ दिया गया है। प्रतुल ने कहा कि रूल ऑफ एग्जीक्यूटिव बिजनेस के तहत स्वास्थ्य सचिव को मंत्री के इस गलत कार्य का विरोध करना चाहिए था।उन्होंने कहा कि सब कुछ स्वास्थ मंत्री के निर्देश पर हुआ है।
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता कर रहे हैं गलतबयानी
उन्होने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता गलतबयानी कर रहे हैं कि इस मामले की उन्हें कोई जानकारी नहीं है।उन्होंने कहा कि कोविड काल में स्वास्थ्यकर्मियों को एक महीने के वेतन के बराबर प्रोत्साहन राशि देने को लेकर 1 मई 2021 को पत्र जारी किया गया था। इसमें साफ-साफ लिखा था कि प्रोत्साहन राशि पाने की अहर्ता कौन-कौन रखते हैं। इसके बाद फिर 24 फरवरी 2022 को नोटिफिकेशन में संशोधन कर उसमें मंत्री और उनके कोषांग के कर्मियों के नाम की अनुशंसा की गई थी।
घोटालों की भी जांच सीटिंग जज या केंद्रीय एजेंसियों से कराये
सरकार स्वास्थ विभाग में हुए घोटालों की भी जांच सीटिंग जज या केंद्रीय एजेंसियों से कराये। उन्होंने कहा कि सदर अस्पताल में कागजों पर ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति हुई थी। रिम्स में जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन अबतक इंस्टाल नहीं हुई।आयुष्मान योजना के तहत 250 करोड़ का क्लेम अस्पतालों ने किया था, इसमें से अबतक 180 करोड़ का भुगतान अस्पतालों को नहीं हुआ है।आखिर क्यों भुगतान रोक कर रखा गया है? सत्यापन कर भुगतान करना चाहिए वरना आयुष्मान योजना झारखंड में राज्य सरकार की उदासीनता के कारण दम तोड़ देगी।