जामताड़ा: बांग्लादेशी घूसपैठ और संथाल में घटती आदिवासी जनसंख्या को लेकर भाजपा ने जनाक्रोश रैली का आयोजन किया। अनुसूचित जाति जनजाति मोर्चा के बैनर तले इस आंदोलन मे डेमोग्राफी बदलाव प्रमुख मुद्दा है। इस रैली को संबोधित करते हुए बाबूलाल मरांडी ने घुसपैठ धर्मांतरण और जमीन कब्जा जैसे मुद्दों पर राज्य सरकार को जोरदार हमला बोला। इस दौरान पूर्व सीएम ने आदिवासियों की घटती आबादी पर गहरी चिंता जताई और अपने सम्बोधन में आदिवासियों को जागरूक होने पर जोर दिया। मरांडी ने कहा कि आदिवासी यदि नहीं चेते तो उन्हें अपने अधिकार से वंचित होना पड़ेगा।
इस दौरान मरांडी ने राज्य सरकार के लिए कहा कि आदिवासीयों के नाम पर जेएमएम, कांग्रेस सिर्फ राजनीति करती है और आदिवासी उनके लिए सिर्फ वोट बैंक है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जो वादा किया था वह वादा पूरा नहीं किया बल्कि चुनाव के नजदीक आते देख कई तरह के योजनाएं देकर वोट लेना चाहती है। इस दौरान बाबूलाल ने जेएमएम, कांग्रेस पर झूठ की राजनीति करने का भी आरोप लगाया। वहीं इस दौरान बाबूलाल मरांडी ने संथाल में घटती आदिवासी की जनसंख्या और डेमोग्राफी को लेकर चिंता जाहिर की। अपने भाषण में कहा कि आबादी घटने से यहां के मूलवासी आदिवासी काफी प्रभावित होंगे।
उन्हें अपने अधिकार से वंचित होना पड़ेगा। बता दें बाबूलाल मरांडी ने संथाल में आदिवासीयों की घटती जनसंख्या और डेमोग्राफी बदलाव को लेकर सरकार से आयोग गठित कर जांच करने की मांग की। इसे लेकर उन्होंने कहा कि सरकार आयोग गठित कर जांच करे कि आखिर संथाल में आदिवासी की जनसंख्या घटने के पीछे क्या कारण है। वहीं उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आखिर सरकार जांच कराने से क्यों पीछे हट रही है। इसके बाद बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आदिवासियों की सुरक्षा, उनकी संस्कृति की रक्षा, उनके अधिकार और सम्मान देने का काम यदि कोई पार्टी करती है तो वह एकमात्र भाजपा है।
भाजपा ने ही केंद्र में सरकार बनने के बाद एक आदिवासी महिला को देश का राष्ट्रपति बनाने का काम किया। छत्तीसगढ़ और ओडिशा में एक आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाने का काम किया। उन्होंने कहा कि संथाली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का काम भाजपा ने ही किया है। वहीं संथाल में घटती आदिवासीयों की आबादी पर कहा कि इससे सबसे ज्यादा प्रभावित आदिवासी ही होंगे। उन्होंने कहा कि आबादी घटने से आने वाले समय में लोकसभा, विधानसभा सीट भी घटेगी। नौकरी में मिलने वाला आरक्षण भी घटेगा। उन्होंने कहा कि इससे मूलवासी आदिवासी का जो अधिकार है, उससे वंचित होना पड़ेगा।
कहा कि ऐसे हालात से बचाने का दायित्व समाज और राज्य सरकार का बनता है। वहीं इस रैली को लेकर बाबूलाल ने अपने ट्वीटर से लिखा कि आज जामताड़ा के यज्ञ मैदान में आयोजित संथाल परगना में आदिवासियों की घटती जनसंख्या और लुटती जमीन के विरोध में जनाक्रोश रैली को संबोधित किया।1951 के जनगणना के अनुसार, झारखंड में आदिवासियों की आबादी 36% थी, जो 2011 की जनगणना में घटकर 26% हो गई है। वहीं मुसलमानों की आबादी 9% से बढ़कर लगभग 14.5% तक जा पहुंची है। इसी दरम्यान हिंदुओं की आबादी भी लगभग 7% घटकर, 88% से 81% पर पहुंच गई है। झारखंड में आदिवासी, हिंदू की आबादी का घट रही है और उसी अनुपात में मुसलमानों की आबादी बढ़ रही है। आबादी में अनुपात घटने के कारण आदिवासी समाज को मिलने वाली राजनीतिक नेतृत्व और सरकारी नौकरी के अवसरों में कमी आएगी।