रांची: सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड में स्टाफ नर्सेस की बहाली संबंधी निविदा में एक खास एजेंसी को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से हुई धांधली को लेकर झारखण्ड कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने शिकायत दर्ज की थी। जेसीए ने यह शिकायत CCL के सतर्कता विभाग द्वारा शिकायत पोर्टल पर मेल किया था। इस मेल को संगठन द्वारा भेजा गया है और मामले की पूरी जानकारीह व शिकायत प्रबंधन से की गयी है परन्तु बाजूद इसके पूरा CCL प्रबंधन इस शिकायत पर मौन धारण किए हुए है। जिसे झारखण्ड कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने गंभीरता से लिया है एवं CCL प्रबंधन को आगामी 10 अगस्त तक निविदा से सम्बंधित शिकायत पर विचार करने का समय दिया है। वहीं इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए सचिव संदीप तिवारी ने बताया कि CCL प्रबंधन के द्वारा न्यायसंगत निर्णय नहीं लेने के कारण झारखण्ड कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। जिन तीन एजेंसियों को तकनीकी रूप से योग्य करार देकर उनमें से एक को कार्य आवंटित किया गया है, उसमें शेष दोनों एजेंसियां M/s Commando Industril Security Force और M/s Samanta Security & Intelligence Services, बिहार सरकार के अलग अलग विभागों से निविदा प्रकाशित होने के पूर्व से काली सूची में दर्ज हैं। इस संबंध में उन्होंने दावा किया कि CCL प्रबंधन का कहना है कि क्योंकि यह एजेंसियां CCL की काली सूची में नहीं है, इसलिए उन्हें इससे कोई मतलब नहीं। जबकि सीसीएल की निविदा के अनुसार:
1.निविदा डालने वाली एजेंसी के लिए यह जरूरी है कि पिछले तीन सालों में उसे भ्रष्टाचार संबंधी दृष्टिकोण का अनुपालन करने वाले किसी भी देश की किसी अन्य कंपनी या भारत में किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के साथ कोई ऐसा उल्लंघन नहीं हुआ है, जिसके कारण उसे निविदा प्रक्रिया से बाहर रखा जा सके। 2.यदि निविदा डालने वाली एजेंसी इस विषय पर गलत बयान देता है या ऐसी कोई जानकारी छुपाता है, तो उसे निविदा प्रक्रिया से अयोग्य घोषित किया जा सकता है या “फर्मों को बोली लगाने से रोकने संबंधी दिशा-निर्देश” में उल्लिखित प्रक्रिया के अनुसार कार्रवाई की जा सकती है। इसके साथ ही निविदा के Annexure III में एक अंडरटेकिंग के माध्यम से स्पष्टीकरण माँगा गया है कि मुझे/हमें किसी भी सरकार या अर्ध- सरकारी एजेंसियों या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा प्रतिबंधित या प्रतिबंधित या असूचीबद्ध नहीं किया गया है। “
निविदा में तो ऐसा जिक्र कहीं भी नहीं है कि सिर्फ CCL के गुनहगार को अलग रखा जायेगा। साथ ही झारखंड कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने पूर्व से कार्यरत एजेंसी M/s Raider Security Services (P) Ltd. को जिस प्रकार का अनुभव प्रमाण पत्र दिया है उसे भी गंभीरता से लिया है क्योंकि इससे एजेंसी की छवि धूमिल हुई है एवं इसका सीधा प्रभाव एजेंसी के व्यवसाय पर पड़ेगा जबकि एजेंसी बेकसूर है एवं जो आरोप प्रबंधन द्वारा लगाए गए है, उसके सम्बन्ध में पर्याप्त सुबूत भी उपलब्ध हैं। प्रबंधन उनके अनुभव प्रमाण पत्र में सुधार कर नहीं देता है तो प्रबंधन पर मानहानि का मुकदमा दायर किया जायेगा।
वहीं इस मामले को लेकर झारखंड कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन CCL प्रबंधन को सख्त चेतावनी देते हुए मांग की है कि:
1.तकनिकी रूप से जिन तीन एजेंसियों को योग्य करार दिया गया है उनमें दो काली सूची में दर्ज हैं जिससे निविदा की वैधानिक मान्यता ही समाप्त हो जाती है। अतः अगले 24 घंटे के अंदर निविदा रद्द कर पुनर्निविदा की कार्रवाई प्रारम्भ की जाये।
2.एक एजेंसी को लाभ पहुँचाने के मकसद में दो काली सूचीबद्ध एजेंसी को तकनीकी रूप से सफल कर दिया गया इसके विरूद्ध इन तीनों एजेंसियों को CCL की निविदा से बेदखल किया जाये।
3.पूर्व की एजेंसी M/s Raider Security Services (P) Ltd. के प्रमाण पत्र में तत्काल सुधार करते हुए नया अनुभव प्रमाण पत्र निर्गत किया जाये, अन्यथा अगले तीन दिनों के अंदर प्रबंधन के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज किया जायेगा।