पूरे देश में साइबर क्राइम के गढ़ के रूप में विख्यात जामताड़ा विधानसभा सीट राजनीति के मामले में भी पीछे नहीं है। वैसे तो इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है, लेकिन एक बार यहां से झामुमो सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने भी एक बार जीत दर्ज की है।
2009 से 2014 तक के जामताड़ा विधानसभा सीट के कार्यकाल को छोड़ दिया जाए तो 1982 से अब तक यहां अंसारी परिवार का कब्जा रहा है। बिहार सरकार के मंत्री रहे फुरकान अंसारी इस सीट से लगातार 5 बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, वहीं अब उनके पुत्र इरफान अंसारी लगातार 10 सालों से जामताड़ा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
हालांकि जामताड़ा विधानसभा सीट की जीत का मजा अन्य राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों में भी चखा है। 1980 के पहले कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार को विजय घोषित किया गया, लेकिन अदालत के आदेश के बाद जब वे हटाए गए तो 1992 में कांग्रेस के फुरकान अंसारी को जीत मिली। 2005 में भाजपा से विष्णु भैया ने जीत दर्ज की, इसके बाद जब उन्होंने 2009 में इस्तीफा दिया तो उपचुनाव में झामुमो से शिबू सोरेन ने जीते। 2009 में ही दोबारा विष्णु भैया ने झामुमो के टिकट से यहां जीत दर्ज की, लेकिन उसके बाद से अब तक यहां कांग्रेस का ही दबदबा रहा है।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि जामताड़ा जिला कांग्रेस का अभेद किला है, जिसे 35 सालों से अंसारी परिवार के सदस्य बचाए हुए हैं। ऐसे में अगर विरोधी इसे ध्वस्त करना चाहते हैं तो उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी।