झारखंड की राजनीति में बिहार की पुनरावृत्ति की सुगबुगाहट है। जिस तरह लालू यादव ने चारा घोटाले में नाम सामने आने के बाद गिरफ्तारी से पहे सीएम की कुर्सी पर अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का सीएम बना दिया था। अब झारखंड सीएम हेमंत सोरेन जमीन घोटाले में फंसे हैं तो चर्चा चल रही है कि वे अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को सीएम बना सकते हैं। लेकिन इस काम में नियमों का फेर ऐसा फंसा है कि पत्नी को सीएम बनाने की हेमंत सोरेन की कोशिश को झटका लग सकता है।
झारखंड में अब ‘कल्पना सरकार’, सीएम हेमंत ने की तैयारी?
बिहार की तरह नहीं है झारखंड में मामला
दरअसल, बिहार में लालू यादव ने जब राबड़ी देवी को सीएम बनवाया तो यहां विधान परिषद की व्यवस्था थी। लेकिन झारखंड में यह व्यवस्था नहीं है। वहां कल्पना सोरेन को सीएम बनना है तो उन्हें विधानसभा का चुनाव लड़ना होगा और वो भी छह माह के अंदर। क्योंकि कल्पना सोरेन अभी झारखंड विधानसभा की सदस्य नहीं हैं।
बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश आ रहा आड़े
वैसे तो कल्पना सोरेन को सीएम बनाने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा की जीती कोई भी सीट खाली की जा सकती है। पति हेमंत सोरेन भी सीट खाली कर सकते हैं। लेकिन कल्पना पति की सीट पर चुनाव नहीं लड़ सकती। क्योंकि हेमंत सोरेन फिलहाल बरहेट विधान सभा सीट से विधायक हैं, जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। कल्पना सोरेन ओडिशा के मयूरभंज की मूल निवासी हैं और आदिवासी नहीं हैं। इसलिए वह पति हेमंत की बरहेट सीट से चुनाव नहीं लड़ सकती हैं। इसके अलावा दूसरी सीट से चुनाव लड़ने में बॉम्बे हाई कोर्ट का एक आदेश आड़े आ सकता है।
क्या कहता है कोर्ट का आदेश
2019 में बॉम्बे हाई कोर्ट का एक आदेश हेमंत और कल्पना की राह का रोड़ा बन सकता है। दरअसल, महाराष्ट्र की काटोल विधानसभा सीट पर उप चुनाव को लेकर 2019 में हाई कोर्ट का आदेश था कि अगर चुनाव होने में एक साल या उससे कम समय शेष हो तो उप चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। चूंकि झारखंड विधानसभा का कार्यकाल इसी साल समाप्त होना है, इसलिए कल्पना को सीएम बनवाना मुश्किल हो सकता है। क्योंकि चुनाव नहीं होने की स्थिति में उन्हें फिर बीच में ही इस्तीफा देना पड़ सकता है।
JMM ने की है चुनाव की तैयारी?
दूसरी ओर JMM ने चुनाव की तैयारी कर ली है। गांडेय के विधायक सरफराज अहमद ने अपनी सीट से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा 31 दिसंबर 2023 की तिथि से प्रभावी हुआ है। संभावना जताई जा रही है कि कल्पना सोरेन इसी सीट से चुनाव लड़ सकती है। इस सीट को JMM का गढ़ माना जाता है। यहां से 1985, 1990, 2000, 2005 और 2019 में कुल पांच बार JMM की जीत हो चुकी है। इस सीट से विधायक का इस्तीफा दिसंबर 2023 में हुआ है तो कानूनी प्रक्रिया के अध्ययन के बाद फैसला होगा कि यहां उपचुनाव हो सकता है या नहीं। इसी फैसले पर कल्पना सोरेन की राजनीतिक किस्मत टिकी रहेगी। क्योंकि भाजपा ने तो अभी से हेमंत सोरेन को घेरने की शुरुआत कर दी है। गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने ट्वीट कर झारखंड के राज्यपाल से पूछा है कि अगर कल्पना सोरेन जी कहीं से विधायक नहीं बन सकती हैं, तो उन्हें मुख्यमंत्री कैसे बनाया जा सकता है? दूबे ने राज्यपाल से इस बारे में विचार करने को भी कहा है।