रांची: ममता सरकार के बेतुके फरमान के 23 घंटे बाद बार्डर से प्रवेश निषेध हटा लिया गया है। पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने डीवीसी के द्वारा पानी छोडे जाने के कारण लिए गए अपने फैसले से पीठे हट चुकी है। इसे लेकर शुक्रवार की शाम 6:30 बजे बॉर्डर झारखंड से बंगाल बार्डर को खोल दिया गया है। इसके बाद सीमा पर 23 घंटे से खड़े वाहनों ने बंगाल में प्रवेश करना शुरू किया। बता दें कि पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा झारखंड से जाने वाले वाहनों पर गुरूवार शाम से बंगाल प्रवेश पर रोक लगा दी गयी थी। इसके बाद धनबाद में वाहनों की लम्बी कतारें लगनी शुरू हो गयी उसके जबाब में भाकपा माले नेता अरूप चटर्जी के समर्थकों द्वारा भी पश्चिम बंगाल के वाहनों को झारखंड में आने से रोक दिया। इसमें झारखंड के वाहन चालक भी माले समर्थकों को समर्थन में खड़े हो गये थे।
इस कारण पश्चिम बंगाल में भी लम्बी सड़क जाम हो गयी और वाहनों की लंबी कतारें लग गयी। इसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार की अक्ल ठिकाने आ गयी और ममता सरकार की समझ में आया कि जैसे को तैसा हो गया। मुंहतोड़ जवाब मिलने के बाद इसके बाद पश्चिम बंगाल ने अपनी सीमा खोल दी। मालूम हो कि पश्चिम बंगाल में आयी बाढ़ को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने डीवीसी को जिम्मेदार ठहराते हुए झारखंड-बंगाल सीमा पर वाहनों की आवाजाही को अगले तीन दिनों तक रोक दिया था। इस प्रकार प्रवेष निषेध होने से धनबाद के निरसा और रांची से सटे पुरुलिया बॉर्डर पर वाहनों की लंबी कतार लग गयी थी। इसे लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक्स पर पोस्ट कर इस कार्रवाई को असंवैधानिक करार दिया था। उन्होंने हेमंत सरकार पर भी सवाल उठाया ओर कहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुप क्यों हैं? बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि जब ज्यादा बारिश होती है, तो झारखंड को पानी छोड़ना ही पड़ता है, यह एक सामान्य प्रक्रिया है। इसे लेकर वाहनों को रोका जाना कहीं से भी जायज नहीं है।