ज्येष्ठ पूर्णिमा के पावन अवसर पर भारत-नेपाल सीमा स्थित वाल्मीकिनगर बेलवा घाट परिसर में जिला प्रशासन पश्चिमी चंपारण के तत्वावधान में स्वरांजलि सेवा संस्थान के संतो द्वारा नारायणी गंडकी महाआरती की गई। ”एक हमारा लक्ष्य एक हमारा विश्वास। सजाएंगे जीवन वसुंधरा, हमारे बेहतर जीवन शैली के प्रयास”। कार्यक्रम की शुरुआत हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ कार्यक्रम पदाधिकारी राजेश कुमार गुप्ता, काठमांडू से आए अंतर्राष्ट्रीय संत धर्मपाल गुरु वशिष्ट जी महाराज, कनीय अभियंता सत्येंद्र नारायण सिन्हा, कनीय अभियंता अशोक कुमार, लेखापाल शंकर प्रसाद, समाजसेवी संगीत आनंद, एसएसएस ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्षा अंजू देवी, थारू संस्कृति के होमलाल प्रसाद, जिमरी नौतनवा पंचायत के मुखिया खूबलाल बड़गढिया ने संयुक्त रूप से किया।
117 वीं नारायणी गंडकी महाआरती हुई
राजेश गुप्ता ने कहा कि यूं तो स्वरांजलि सेवा संस्थान द्वारा वर्ष 2014 से नारायणी गंडकी महाआरती कराई जाती है। परंतु इस बार की 117 वीं नारायणी गंडकी महाआरती जिला प्रशासन पश्चिम चंपारण बेतिया द्वारा प्रायोजित है। बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन हरियाली, जल संचय, पर्यावरण संरक्षण संवर्धन आदि विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई। कनीय अभियंता सत्येंद्र नारायण सिन्हा ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग से बचने के लिए पौधारोपण जरूरी है। कनीय अभियंता अशोक कुमार ने कहा कि नदियां जीवनदायिनी है। कार्यक्रम पदाधिकारी के नेतृत्व में मनरेगा टीम ने जीवन पर्यंत पर्यावरण संरक्षण संवर्धन में सहयोग करने की शपथ ली।
धार्मिक ग्रंथों में नारायणी गंडकी का उल्लेख
धर्मपाल गुरु वशिष्ट जी महाराज ने कहा कि धार्मिक ग्रंथों में नारायणी गंडकी सदानीरा आदि नामों से गंडक नदी का उल्लेख मिलता है। संगम तट पर महाआरती का विहंगम दृश्य आने वाले पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है। कोलकाता से आए इंजीनियर प्रसन्न जीत चक्रवर्ती ने जिला प्रशासन पश्चिम चंपारण और इस आयोजन की भूरी-भूरी प्रशंसा की। थरुहट की छात्रा रेशमा कुमारी ने गंगा तेरा पानी अमृत पर भाव नृत्य प्रस्तुत किया। गंगा मैया की जय, नारायणी गंडकी माता की जय, वृक्ष की रक्षा, मानव रक्षा, पानी से जीवन आबाद, करेंगे ना जल को बर्बाद, आदि नारे और स्लोगन गुंजायमान होते रहे।