JAMSHEDPUR: अपने चार सूत्री मांगों को लेकर ओलचिकी हूल बैसी झारखण्ड बंद का आह्वान किया था। जिसे लेकर मंगलवार को बंद का असर एनएच- 33 और ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिला। सुबह से ही बंद समर्थक अलग- अलग खेमों में बंटकर बंद कराने निकले। इस दौरान बंद समर्थकों ने जगह-जगह नाकेबंदी कर और टायर जलाकर अपना विरोध प्रदर्शन किया। बंद का ग्रामीण क्षेत्रों में असर देखने को मिला।
परिचालन बंद रहा
बता दें कि बंद को आदिवासी सुरक्षा परिषद का भी समर्थन मिला है। सुबह से ही बंद समर्थक पारंपरिक हथियारों से लैस होकर शहर में प्रवेश करने वाले सभी मार्गों पर डट गए और आवागमन पूरी तरह बाधित कर दिया है। इस वजह से लंबी दूरी की गाड़ियां जहां-तहां फंसे हैं। वही शहर से खुलने वाले लंबी दूरी की गाड़ियों का परिचालन बंद रहा।
क्या क्या मांग है
ओलचिकी हूल बैसी की मुख्य मांग संताल भाषा को प्रथम राजभाषा का दर्जा देने, अलग से संताली एकेडमी का गठन करने, संताली भाषा का ऑलचिकि लिपि से पुस्तकों का मुद्रण एवं पठन पाठन आरंभ करने, संताली शिक्षकों की बहाली किये जाने की है। इन मांगों को लेकर इनके द्वारा लगातार सरकार तक अपनी बात पहुंचाई जा रही है। बंद समर्थकों ने बताया कि झारखंड सरकार द्वारा लगातार उनकी मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है। थक हार कर उन्हें आंदोलन का रुख अख्तियार करना पड़ा है। बंद समर्थकों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांग पूरे नहीं होते उनका आंदोलन जारी रहेगा।
परंपरागत हथियारों के साथ सड़कों पर उतरे समर्थक
वहीं रामगढ़ में भी बंद का असर देखने को मिला। पठन-पाठन में संताली भाषा के ओलचिकी लिपि को लागू करने, संताली शिक्षकों की बहाली करने समेत अलग से संताली अकादमी बनाने की मांग को लेकर संथाली समाज ने कुज्जु के पास राष्ट्रीय राजमार्ग NH -33 को जाम कर दिया । इसके कारण रांची -रामगढ -हज़ारीबाग मुख्य मार्ग पर लगा लंबा जाम लग गई है। गाड़ियों की लंबी कतार लगी हुई है। कुजू पुलिस जाम करने वालों को समझाने में लगी है। जाम करने वाले परंपरागत हथियारों के साथ सड़क पर उतरकर अपने मांगों के समर्थन में नारेबाजी कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार ओल चिकी लिपि को मान्यता देते हुए क्लास वन से दसवीं तक इसकी पढ़ाई भी चालू कराएं। काफी मशक्कत के बाद जाम को हटाया गया।